200 आयुष इंटर्न की जान दांव पर लगाने की तैयारी में मप्र स्वास्थ्य विभाग
— जब नौकरी ही नहीं तो जान का जोखिम क्यों उठाएंगे आयुष इंटर्न
— सुरक्षा के इंतजाम भी पर्याप्त नहीं
मध्यप्रदेश। कोविड 19 कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग अब 200 आयुष इंटर्न की जान दांव पर लगाने की तैयार है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल ने आयुक्त संचालनालय आयुष विभाग से 200 आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी आयुष इंटर्न की मांग की है। इन 200 इंटर्न को कोरोना ड्यूटी पर तैनात किया जाएगा। आयुष इंटर्न की अभी डिग्री तक पूर्ण नहीं हुई यह अभी प्रशिक्षण ले रहे है। बिना पूर्ण प्रशिक्षण के इन्हें कोरोना जैसी जानलेवा महामारी ड्यूटी पर तैनात किया जाना इनके जीवन के खिलवाड है।
मप्र सरकार इस समय कई तरह की समास्या से जूझ रही है। हाल ही में लगभग 100 से अधिक एलोपैथी डॉक्टरों का तबदला इंदौर किया गया था लेकिन इन डॉक्टरों ने इंदौर जाकर पदभार ग्रहण नहीं किया जबकि प्रदेश एस्मा लागू है। सरकार के आला अधिकारियों ने कई तरह के दबाव बनाए लेकिन एलोपैथी डॉक्टरों इंदौर जाने से इंकार कर दिया। बाद में विभाग ने ऐसे डॉक्टरों की पहले स्वीकृति लेने का आदेश निकाला तो इंदौर जाना चाहते हो। अब कितने डॉक्टर गए इसकी जानकारी विभाग ने सर्वजानिक नहीं की है। इससे यह साफ हो जाता है कि सालों से सरकारी नौकरी कर रहे एलोपैथी डॉक्टर अपनी जान का जोखिम नहीं लेना चाहते है।
अस्पताल और अन्य कार्य के लिए अब हेल्थ वर्कर तो चाहिए ही,ऐसे में सरकारी महकमें को अब आयुष इंटर्न की याद आ गई है। आयुष इंटर्न पर दबाव बनाया जा सकता है। अगर आयुष इंटर्न कोरोना ड्यूटी से इंकार करता है तो उसकी डिग्री पूर्ण नहीं मानी जाएगी। मजबूर होकर आयुष इंटर्न कोरोना ड्यूटी करना ही होगी।
200 आयुष इंटर्न की जान दांव पर होगी…
अस्पताल में डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को सुरक्षा किट के नाम पर क्या दिया जा रहा है यह सब जानते है उनके रहने खाने के क्या इंतजाम किये गए है यह भी सर्वजानिक हो रहा है हर रोज..। ऐसे में 200 आयुष इंटर्न की जान दांव पर क्यों लगाई जा रही है। इनके पास न तो पीपीई किट, एन-95 मास्क तक नहीं है। इनका प्रशिक्षण पूरा नही होने से कई गलतियां करेंगे इससे इनकी और अन्य लोगों की जान मुसीबत में आ सकती है। अब सवाल यह है कि क्या स्वास्थ्य विभाग सब कुछ जानते हुए भी इनका जीवन दांव पर लगा रहा है?
कुछ अनहोनी हुई तो कुछ नहीं मिलेगा
सरकारी एलोपैथी डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ अगर कोरोना संकट के दौरान संक्रामित होकर मौत का शिकार हो जाते है तो उनके परिवार को 50 लाख रूपए मिलेंगे,लेकिन आयुष इंटर्न तो अस्थाई की श्रेणी में भी दर्ज नहीं है,उसकी गिनती तो अभी विद्यार्थी में ही है। ऐसे में उसके साथ कुछ अनहोनी होती है तो क्या हो उसके परिवार का?
आयुष इंटर्न की ट्रेनिंग के बाद ही ड्यूटी पर लगाई जाए
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ राकेश पाण्डेय ने संचालनालय आयुष व सरकार से मांग की है कि आयुष इंटर्न की ट्रेनिंग के बाद ही ड्यूटी पर लगाई जाए। आयुष डिग्री के बाद एक वर्षीय इंटर्नशिप पूरी करने के बाद अगर ड्यूटी लगेगी तो वो पूर्ण रूप से डॉक्टर्स होते हैं, इंटर्नशिप पूरी किये बगैर डिग्री अधूरी मानी गयी है।