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राजपक्षे ने सिरीसेना की पार्टी से 50 साल पुराना रिश्ता तोड़ा, नई पार्टी से लड़ेंगे चुनाव

राजनीतिक और संवैधानिक संकट के बीच झूल रहे श्रीलंका में पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना का साथ छोड़कर उन्हें बड़ा झटका दिया. श्रीलंकाई नेता महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरीसेना की एसएलएफपी से अपना 5 दशक पुराना रिश्ता रविवार को तोड़ लिया और नवनिर्मित श्रीलंका पीपुल्स पार्टी (एसएलपीपी) में शामिल हो गए. मैत्रीपाला ने एक विवादस्पद कदम उठाते हुए हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति राजपक्षे को श्रीलंका का प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.

राजपक्षे का यह कदम दिखाता है कि 5 जनवरी को प्रस्तावित मध्यावधि चुनावों में वह सिरीसेना की श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) की जगह अपनी पार्टी एसएलपीपी के परचम तले चुनाव लड़ेंगे. एसएलपीपी का गठन राजपक्षे के समर्थकों ने किया है. पूर्व राष्ट्रपति ने रविवार की सुबह इसकी सदस्यता ग्रहण की.

राजपक्षे के पिता डॉन एल्विन राजपक्षे एसएलएफपी के संस्थापक सदस्य थे. इसकी स्थापना 1951 में हुई थी. एसएलपीपी की स्थापना पिछले साल राजपक्षे के समर्थकों ने राजनीति में उनके प्रवेश के लिए एक मंच के बतौर की थी. इस पार्टी ने शुक्रवार को स्थानीय परिषद चुनावों में कुल 340 सीटों की दो तिहाई सीटें जीती थीं.

सिरिसेना ने रानिल विक्रमसिंघे को हटाकर राजपक्षे को बनाया था PM

दरअसल, सिरिसेना द्वारा 26 अक्टूबर को प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को हटाने और उनकी जगह राजपक्षे को नियुक्त करने तथा संसद को निलंबित करने के बाद श्रीलंका एक बड़े संवैधानिक संकट से गुजर रहा है. संसद भंग किए जाने के फैसले पर संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस, यूरोपीय संघ और अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया और नार्वे समेत कई देशों ने सिरिसेना के कदम पर चिंता प्रकट की थी.

सिरिसेना द्वारा संसद भंग करने और पांच जनवरी को मध्यावधि चुनाव कराने की घोषणा के साथ ही देश में राजनीतिक संकट शुक्रवार को गहरा गया. दरअसल, जब यह स्पष्ट हो गया कि प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के लिए सदन में उनके पास पर्याप्त समर्थन नहीं है तब सिरिसेना ने यह कदम उठाया. उन्होंने ही राजपक्षे को विवादास्पद स्थितियों में प्रधानमंत्री नियुक्त किया था.

श्रीलंका में 5 जनवरी को मध्यावधि चुनाव

श्रीलंका में 5 जनवरी को होने वाले मध्यावधि चुनाव के लिए 19 नवंबर से 26 नवंबर के बीच इस चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरे जाएंगे. चुनाव 5 जनवरी को आयोजित होंगे और नए संसद की बैठक 17 जनवरी को बुलाई जाएगी.

विश्लेषकों का मानना है कि आज की रात का फैसला भी 19वें संशोधन के हिसाब से असंवैधानिक है. 19 वें संशोधन के अनुसार राष्ट्रपति साढ़े चार साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले प्रधानमंत्री को बर्खास्त नहीं कर सकते या संसद को भंग नहीं कर सकते.

सिरिसेना ने एक आधिकारिक अधिसूचना पर हस्ताक्षर करते हुए मौजूदा 225 सदस्यों वाली संसद को भंग कर दिया. इसका कार्यकाल अगस्त 2020 में पूरा होना था. गौरतलब है कि सिरिसेना ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर उनकी जगह उनके पूर्व प्रतिद्वंद्वी महिंदा राजपक्षे को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया. इससे देश में राजनीतिक संकट पैदा हो गया.

श्रीलंका के राष्ट्रपति ने सांसदों की शक्तियां छीन लीं : स्पीकर

श्रीलंका की संसद के स्पीकर ने रविवार को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना पर ‘सांसदों की शक्तियां छीनने’ का आरोप लगाया और ‘जनसेवकों से उनके अवैध आदेशों का पालन नहीं करने’ का आह्वान किया. स्पीकर कारु जयसूर्या ने एक कठोर बयान में कहा कि 26 अक्टूबर से प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त करने और संसद भंग करने तक सिरिसेना के कृत्य लोगों की आजादी को क्षीण बनाते हैं.

उन्होंने कहा, ‘मैं पिछले दो हफ्तों से देख चुका हूं. कार्यपालिका शाखा ने सासंदों के अधिकार जब्त कर लिए हैं, उनकी शक्तियां छीन ली हैं जो लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए निर्वाचित थे.’ उन्होंने कहा, ‘मैं सभी जनसेवकों से किसी भी अवैध आदेश को लागू करने से इनकार करने का आह्वान करता है, इससे फर्क नहीं पड़ता कि कौन उन्हें ये आदेश दे रहा है.’

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