भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस की नीति हुए कामयाब और कानून-व्यवस्था बेहतर : शिवराज मामा
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वर्ष 2010 में लोक सेवाओं के प्रदान का गारंटी अधिनियम, जन-सुनवाई, समाधान ऑनलाइन, समाधान एक-दिन तत्काल सेवा, अंत्योदय मेले, लोक कल्याण शिविर, सी.एम. हेल्पलाइन, द्वश्चद्दश1.द्बठ्ठ और सबसे ब?कर सुशासन में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रभावी उपयोग उन्हें प्रजापालक मुख्यमंत्री बनाता है। खाद्य सुरक्षा और वन अधिकार अधिनियम का प्रभावी क्रियान्वयन इस बात का प्रमाण है कि वे सरकार में लोगों का विश्वास ब?ाने में सफल रहे हैं। पिछले वर्ष प्रदेश के हर आवासहीन को जमीन उपलब्ध कराने के लिये बनाया गया कानून और 12 साल तक की बच्चियों से दुष्कर्म करने वालों के लिये फाँसी की सजा के प्रावधान वाले मध्यप्रदेश दण्ड संहिता (संशोधन) विधेयक को राज्य विधानसभा से पारित करने वाला मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य उनके कार्यकाल में ही बना है। इससे पहले भी भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टालरेंस की नीति और कानून-व्यवस्था की बेहतरी के लिये किये गये प्रयास और भ्रष्टाचार से अर्जित संपत्ति को राजसात करने के लिये बना कानून उनके मुख्यमंत्रित्वकाल के मील का पत्थर है।
कुल मिलाकर उन्होंने आवाम में अपने प्रति भरोसा जगाया है। लगता है कि कोई है, जो?सिर्फ देखेगा नहीं करेगा भी। तकरीबन सवा 12 साल के कार्यकाल में यह स्थापित करने में वे सफल रहे हैं कि सत्ता महज सत्ता पाने के लिये नहीं होती, उसका उपयोग या यूँ कहे कि सदुपयोग कर प्रदेश की तकदीर और तस्वीर बदली जा सकती है। उसमें लोगों की तरक्की और खुशहाली के रंग भरे जा सकते हैं। अगर आप मेधावी है, तो सरकार के खर्चें पर उच्च शिक्षा प्राप्त करना, रिसर्च करना, विदेश अध्ययन जाना सिर्फ मध्यप्रदेश में संभव है। आज अगर शिक्षा, स्वास्थ्य, सबको दवाई, पढ़ाई, रोजगार, सिर पर छत आज अगर उनकी प्राथमिकता है, तो यह गैर वाजिब नहीं है। केन्द्र की योजनाओं पर तत्परता से अमल और मानिटरिंग, उन्हें और अधिक स्वीकार्य बनाते हैं। इस सबके बीच उन्होंने अपनी सरल, सहज व्यक्तित्व की जो अजातशत्रु यू.एस.पी. बनाई है, वह भी उन्हें विशिष्ट बनाती है।