Top Stories

ये लेख कॉपीराईट के अंतर्गत आता है इसे बि‍ना अनुमति किसी भी रूप में उपयोग नही किया जा सकता 

लोग कुंडलिनी शक्ति को लेकर काफी उत्‍सुक और जिज्ञासू होते जा रहे हैं , इस बारे में लोगों के ज़हन में आने वाले सामान्‍य से प्रश्‍नो का जवाब जानते हैं वोम गुरू अतुल विनोद पाठक से

विषय कुंडलिनी शक्ति , दिव्‍य शक्ति , प्राण उर्जा , ब्रम्‍ह उर्जा , क्‍या है इनका जागरण कैसे करें

सवाल .. कुंडलिनी शक्ति , दिव्‍य शक्ति , प्राण उर्जा , ब्रम्‍ह उर्जा , क्‍या है

वोम गुरू … हर व्यक्ति अपनी आंतरिक शक्तियों के बारे में जानना चाहता है , और यदि ये पता चल जाये कि हमारे अंदर ही शक्तियों का खजाना छिपा हुआ है तो फिर उसके उपयोग की इच्छा पैदा होना स्वाभाविक ही है , हम सबने कुण्डलिनी शक्ति के बारे में सुन रखा है , ये शक्ति हम सब के अंदर है , ये शक्ति कली के रूप में , बीज के रूप में हम सबके मूल आधार में मौजूद है , काम और क्रोध के वक्त ऊर्जा का जो प्रवाह हम देखते है वो इसी शक्ति के रूप हैं , प्राचीन समय में संस्कृत ग्रंथों में इस ऊर्जा का विस्तार से वर्णन मिलता है , क्योंकि विषय गूढ़ रहस्यमय और दुरूह मालूम पड़ता है इसलिए आम इंसान की पहुंच से यह विघा हमेशा दूर रही है I जो संस्कृत के जानकार थे उन्होंने इस विद्या के बारे में सहज रुप से जानकारी हासिल की, उसका उपयोग किया और विश्व को चमत्कृत भी किया अब सवाल यह उठता है कि क्या यह ऊर्जा आम इंसान के काम भी आ सकती है , क्या आम आदमी इस उर्जा का उपयोग कर अपनी सामान्य जिंदगी में कुछ बदलाव ला सकता है और क्या भागदौड़ भरी जिंदगी में सहज रुप से इस शक्ति को जागृत किया जा सकता है , पहली बात तो यह कि कुंडलिनी सुप्त अवस्था में नहीं है बल्कि है प्रसुप्त अवस्था में , हमारी रीढ़ की हडउी के नीचे और हमारे काम केंद्र के ठीक पीछे मौजूद है , जैसे एक छोटे से गोले में परमाणु ऊर्जा मौजूद रहती है लेकिन उसका आभास नहीं होता , उस बम में विस्फोट कर दिया जाए तो वह विध्वंस कर सकता है, उसी परमाणु ऊर्जा को हम बिजली बनाने में भी उपयोग कर सकते हैं , वही ऊर्जा सूर्य में संलयन के जरिए पूरी Galaxy को प्रकाशमान करती है , इसी तरह हमारे अंदर मौजूद कुंडलिनी शक्ति एक तरह की अणु ऊर्जा ही है , जिसका विस्फोट कर उसे आत्‍म शक्ति के जागरण में उपयोग किया जा सकता है , इस ऊर्जा के प्रवाह के द्वार को विस्‍फोट के ज़रिये बिना किसी मकसद के बड़ा कर दिया जाए तो ये विध्वंस भी कर सकती है

 

सवाल .. कुंडलिनी शक्ति को कैंसे जागृत कर सकते हैं क्‍या तंत्र और योग द्वारा इसे जगाया जा सकता है

वोम गुरू .. कुण्डलिनी शक्ति के उत्थान की योग और तन्त्र में जो विधियां दी गयी है वो पूरी तरह अलग अलग है , अज्ञानी दोनो को जोड़कर प्रस्तुत कर भ्रम पैदा कर देते हैं ,  वस्तुतः कुंडलिनी शक्ति काम ऊर्जा को उर्ध्वगामी करना है योग में काम ऊर्जा की दिशा बदलकर यम , नियम, ध्यान ,धारणा, प्रत्याहार, आसन प्राणायाम और समाधि के योग के जरिए ऊर्ध्वगामी ( उपर की ओर उठाना ) किया जाता है वही तंत्र में काम क्रिया में वलय बनाकर उसे अलग अलग विधियों के ज़रिए ऊर्द्भगामी किया जाता है , शक्तिपात यानी किसी गुरु द्वारा कुण्डलिनी जागरण फिल्म के ट्रेलर की तरह है पूरी फिल्म नहीं है , यह कुंडलिनी शक्ति की एक झलक मात्र है जो कुछ दिनों तक तो अस्तित्व में रहती है लेकिन यदि साधक लगातार योग अथवा तांत्रिक क्रियाओं का प्रयोग ना करें शक्तिपात द्वारा हासिल की गई कुंडलिनी शक्ति एक झलक बन कर रह जाती है जो फिर बाद में दिखाई नहीं देती गायब हो जाती है I सरपेंट पावर को मूलाधार से सहस्त्रार तक पहुचाने के लिए योग विद्या एक स्वीकार्य माध्यम है ।

सवाल .. योग द्वारा कुंडलिनी शक्ति को कैंसे जागृत किया जा सकता है

वोम गुरू …  शक्तियां और सिध्दियाँ प्राप्त करना बिना किसी मकसद के बेमानी है , यदि हमने ठान ही लिया है कि हमे अपनी आंतरिक सहज ऊर्जा का रूपांतरण कर आध्यात्म के शिखर पर पहुचना है तो शॉर्टकट का विचार त्याग दें , इसके लिए खुद को लम्बी यौगिक साधना के लिए तैयार कर लें । सबसे पहले ज्ञान योग जिसे सांख्य योग भी कहा जाता है के ज़रिए आत्मिक ज्ञान प्राप्त करें , इसके बाद आसनो द्वारा आपने शरीर को  असीम ऊर्जा के प्रवाह को समायोजित करने के लिए तैयार कर लें । इसे इस तरह समझें जैसे एक कमज़ोर घोड़े पर 2,3 लोगों की सवारी , जैसे एक साधारण व्यक्ति को सेना में भर्ती कर बिना प्रशिक्षण दिए युद्ध भूमि भेज देना । हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमता के अनुसार प्राण ऊर्जा  पहले से ही मिल रही है ,  इससे ज़्यादा क्यों चाहिए इसका जवाब खोजिए फिर आगे बढिये ज्ञान योग के बाद भक्ति , लय , नाद ,  सहज , समाधि , राज योग की विधियों के प्रयोग से आप कुण्डलिनी जाग्रत ( जाग्रत यानी ऊर्द्भगामी करना )कर सकते हैं ।  इन यौगिक क्रियाओं में कुंडली जागरण के कुछ विशेष अभ्यास हैं , ये पूरा विज्ञान है जिसमे एक एक चरण का महत्व है हर अभ्यास को स्टेप By स्टेप करना होता है , हर चरण में कुछ विशेष अनुभव प्राप्त होते हैं जिन्हें कई बार कुण्डलिनी जागरण समझ लिया जाता है , लेकिन वो सिर्फ झलक मात्र होती है । सम्पूर्ण कुंडलिनी जागरण सिर्फ  योग के एक भेद से संभव नही है इसके लिए समग्र साधना की आवश्यकता है ।  वोम हाउस जल्द ही सरल और वर्गीकृत रूप से ईबुक , ऑडियो और वीडियो बुक के ज़रिये कुण्डलिनी तन्त्र और कुण्डलिनी योग को आपके सामने रखने जा रहा है ताकि इस शक्ति के अनुभव को हर वो व्यक्ति कर सके जो पात्र है ।

सवाल .. क्‍या कुंडलिनी जागरण के लिए गुरू के सानिध्‍य का होना आवश्‍यक है

वोम गुरू .. यह तो दर्शन का परम विज्ञान है यह दिव्य शक्ति है यह ब्रह्म शक्ति है यह परम ऊर्जा है यह ब्रह्म शक्ति है यही प्राण ऊर्जा हैयह ज्ञान खुद की इच्छा से खुद की कोशिशों से ही हासिल किया जा सकता है मेंटर सिर्फ रास्ता दिखा सकता है

 

 

सवाल .. कुंडलिनी के बारे में आजकल सोशल मीडिया पर कई वीडियोज़ प्रसारित हो रहे हैं , हालाकी विज्ञान को ये शक्ति दिखाई नही देती क्‍यों

वोम गुरू .. कुंडलिनी शक्ति को एक त्रिकोणाकार आकृति के रूप में देखा और जाना गया है , भारतीय योग अध्यात्म और तंत्र में जिन नाड़ियों का वर्णन किया गया है , वे सूक्ष्म शरीर के स्ट्रक्चर हैं , फिज़िकल बॉडी में इस प्रकार का कोई भी स्ट्रक्चर (संरचना) दिखाई नहीं देगी ,  भारतीय अध्यात्म विज्ञान बहुत शूक्ष्म एनर्जी वेव्स का साइंस है , सामान्य तौर पर यह ऊर्जा अधोगामी यानी नीचे की तरफ बहती है लेकिन यदि इस ऊर्जा अपनी मानसिक , आध्यात्मिक और योग शक्तियों से खींचा जाए तो फिर यह मूलाधार चक्र फिर रीढ़ की हड्डी में स्थित चक्रों को प्रकाशित करते हुए सहस्त्रार तक पहुंच जाती है इसे ब्रह्म क्षेत्र भी कहा जाता है ।  यही कुंडलिनी योग है यह एक गोपनीय साधना है, इस शक्ति का जागरण मानसिक और शारीरिक श्रम से होता है ।  सिर्फ विधियों यानी प्रेक्टिस से कुंडलिनी जागृत नहीं हो सकती ,  इसके साथ मन की पवित्रता, सात्विक विचार, शरीर की प्योरिटी, योग और प्राणायाम के कुछ विशेष अभ्यास के साथ कुछ बंघो का प्रयोग जरूरी है । ये साधना की लंबी और गूढ़ प्रक्रिया है जिससे पूरी तरह जाने बिना कई लोग महायोगी और तांत्रिक के रूप में इस परम साधना की व्याख्या कर रहे हैं । यूट्यूब पर इस ऊर्जा को जाग्रत करने की विधियां बताने वाले कई  ज्ञानी दिखाई दे जाते हैं लेकिन इतने ज़्यादा वीडिओज़ देखकर भी भ्रम पैदा हो जाता है । योग में काम साधना और तन्त्र में सेंस ऑर्गन्स (इन्द्रियों)के निग्रह का वर्णन करने वाले ज्ञानियों से बचें ।

वोम गुरू अतुल विनोद पाठक .. जानेमाने टीवी पत्रकार व आध्‍यात्मिक गुरू हैं उनसे 7223027059 पर व्‍हाटसएप पर संपर्क किया जा सकता है अधिक जानकारी के लिए आप womguru.in और womguru.com विजिट कर सकते हैं

ये लेख कॉपीराईट के अंतर्गत आता है इसे बि‍ना अनुमति किसी भी रूप में उपयोग नही किया जा सकता 

HO: WOM House above SATPURA VANI , in front of Dainik bhaskar , Press complex ,MP Nagar zone-1, BHOPAL

Websites – URL

https://womguru.in ,

https://womguru.com

https://worldoperatingmind.com

https://youtube.com/c/womguru

https://facebook.com/atul.pathak.581

https://facebook.com/womguru

Email:  [email protected][email protected]

Voice : 09977541819 ,7223027059

 

Related Articles

Back to top button