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बुंदेलखंड के जिलों का सूखा खत्म होने की राह में राजनीतिका रोड़ा, सोनिया गांधी ने उठाए कई सवाल

बुंदेलखंड के जिलों का सूखा खत्म करने की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना पर स्थानीय नेताओं के बाद कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी के सवाल उठाने से विरोध की जमीन तैयार होने लगी है। पन्ना और छतरपुर के कांग्रेस नेताओं ने पन्ना टाइगर रिजर्व के कुछ क्षेत्र को आधार बनाकर विरोध में गांव-गांव बैठकें शुरू कर दी हैं। वे दौधन बांध बनने से लाखों पेड़ों को काटे जाने और हजारों जंगली जानवरों के आवास छिनने व जैव विविधता प्रभावित होने की बात कह रहे हैं।

कई वर्षो से लंबित केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सरकार के बीच समझौते के बाद से कुछ पर्यावरणविदों के साथ कांग्रेस इसके खुले विरोध में आ गई है। डूब क्षेत्र के गांवों में बैठकें और पंचायतें कर गांववालों को इससे जोड़ा जा रहा है। कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर परियोजना पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बुंदेलखंड दौरे के बाद से छतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़ के स्थानीय नेता सक्रिय हैं।

भाजपा में दो धड़े

इस मसले पर भाजपा के नेताओं में दो धड़े दिख रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक जुझार सिंह बुंदेला का कहना है कि परियोजना से किसानों और गांवों को जो कुछ मिलने वाला है, उसकी तुलना में अगर कुछ पेड़ काटे जाते हैं तो गलत नहीं है। जब पानी होगा तो कई गुना ज्यादा हरियाली की जा सकती है। वहीं, पन्ना के पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष सतानंद गौतम का कहना है कि विरोध गलत है परंतु प्रोजेक्ट को नए सिरे से बनाने पर विचार किया जा सकता है क्योंकि परियोजना करीब 30 साल पहले बनाई गई थी। तब और अब के हालात में कई अंतर हैं।

दूसरी तरफ, इंटरनेशनल जरनल ऑफ ग्लोबल साइंस रिसर्च के एडिटर व जीव वैज्ञानिक डॉ. अश्विनी दुबे के अनुसार परियोजना से सिंचाई, पेयजल, उद्योग, व्यवसाय और जीवन स्तर में सुधार होगा। केन और बेतवा के धरातलीय स्तर में बेहद अंतर है। दौधन बांध की ऊंचाई 10 मीटर ले जाने का प्रावधान है। इससे पन्ना और छतरपुर का पारिस्थिक संतुलन प्रभावित होगा।

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