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कमलनाथ पहली बार समझेंगे मास्टर प्लान

-विशेषज्ञ बताएंगे अब इंदौर को महानगर माने सरकार, उसी मुताबिक मंजूरी दी जाए, 14 सितंबर को आरहे हैं मुख्यमंत्री 
                      (कीर्ति राणा)
मध्यप्रदेश।  मुख्यमंत्री कमलनाथ का पहला गंभीर दौरा 14 सितंबर को प्रस्तावित है।वे करीब 6घंटे शहर में रहेंगे लेकिन इंदौर के प्रस्तावित मास्टर प्लान को समझने के लिए 30 मिनट का ही समय दिया है। इस दौरान भी वे मास्टर प्लान के साथ ही शहर के ट्रैफिक और पेयजल व्यवस्था में सुधार के संबंध में जानकारी लेंगे।
मुख्यमंत्री का इस दौरे में मुख्य कार्यक्रम तो मेट्रो रेल के निर्कामाण कार्यों का शिलान्यास है।ब्रिलियंट कंवेंशन सेंटर में ही दोपहर 1.30 बजे अभ्यास मंडल के सदस्यों से चर्चा करेंगे।मुकुंद कुलकर्णी उन्हें भविष्य के इंदौर की जरूरतों पर बताएंगे।इंजीनियर-प्लानर विजय मराठे महानगर के प्रस्तावित मास्टर प्लान-2021 को लेकर जानकारी देंगे, तो पीएचई के पूर्व चीफ इंजीनियर मुकेश चौहान पेयजल एवं एसजीएसआईटीएस के प्रोफेसर संदीप नरुलकर ट्रैफिक प्लान की जानकारी देंगे।अभ्यास मंडल सदस्यों का मानना है कि मास्टर प्लान के संबंध में यह बैठक औपचारिकता जैसी ही है संभव है कि सीएम या तो भोपाल में अगली बैठक करें या अधिकारियों को निर्देशित कर दें।
-महानगर का मास्टर प्लान मंजूर हो
इंदौर मप्र का आबादी से लेकर राजस्व के मामले में सबसे बड़ा शहर होने के बावजूद अभी तक महानगर का दर्जा प्राप्त नहीं कर सका है। डा अजीत सिंह नारंग का मानना है सरकार को इंदौर को महानगर मानते हुए इसी लिहाज से मास्टर प्लान को मंजूरी देना चाहिए।
अभी जो मास्टर प्लान लागू है वह 500वर्ग किमी दायरे में है जबकि अभ्यास मंडल ने प्रस्तावित मास्टर प्लान महानगर के क्षेत्रफल के मान से प्लान किया है। महानगर के तहत इंदौर का दायरा तीन गुना अधिक 1700 वर्ग किमी मानते हुए इसी मुताबिक वॉटर सप्लाय, ड्रेनेज सिस्टम, बसाहट और मेट्रो की प्लानिंग आदि कार्य योजना तैयार की है।
इंदौर महानगर का दायरा करीब 35 किमी रेडियस वाला होने से इसमें देवास का क्षिप्रा, धार का पीथमपुर, घाटाबिल्लोद, खंडवा रोड का सिमरोल आदि क्षेत्र भी शामिल किया गया है।चूंकि मेट्रो ट्रेन का काम भी पूर्ण होना है तो जिन क्षेत्रों में जमीन उपलब्ध नहीं है वहां से भूमिगत ट्रेन चलाना (प्रति किमी अनुमानित खर्च 350 करोड़ रु)खर्चीला रहेगा, जबकि शहर के बीच से पटरी डालकर   निर्माण खर्च प्रति किमी 50 करोड़ रु खर्च अनुमानित है।मेट्रो का विस्तार पीथमपुर, क्षिप्रा तक किया जाना भी मास्टर प्लान में प्रस्तावित है।
-मास्टर प्लान की मानिटरिंग नहीं होती
शहर की चिंता पालने वाले प्रबुद्धजनों की पीड़ा यह भी है कि मास्टर प्लान जोर शोर से लागू तो किया जाता है लेकिन हर तीन वर्ष में मानिटरिंग नहीं होती। इसी तरह प्रस्तावित मास्टर प्लान में नियमों का लचीलापन भी जरूरी है क्योंकि शहर विकास की दृष्टि से कभी भी कोई योजना मंजूर की जा सकती है।अभी लागू मास्टर प्लान में मेट्रो ट्रेन की प्लानिंग ही नहीं थी, जिसके लिए अब चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है।
-प्रस्तावित 6मेजर रोड निर्माण की जिम्मेदारी पहले ही निर्धारित कर चुके हैं संभागायुक्त 
मास्टर प्लान-2021 में प्रस्तावित मेजर रोड (एमआर) 3, 5, 9, 11, 12 और आरई-2 के लिए संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने नगर निगम और आईडीए की अलग-अलग भूमिका और काम तय कर दिए हैं। इससे इन सभी रोड पर काम तेजी से हो सकेगा।एमआर-12 का काम आईडीए करेगा। यह राेड बनने से बायपास से आने वाले वाहनों को उज्जैन रोड तक जाने में सुविधा होगी।एमआर-11 का काम भी आईडीए करेगा। एमआर-5 के लिए निगम बैटरमेंट टैक्स लेगा। निएमआर-11 का काम भी आईडीए करेगा। एमआर-5 के लिए निगम बैटरमेंट टैक्स लेगा। निगम ही बैटरमेंट चार्ज लेकर पीपल्यापाला रीजनल पार्क से बायपास तक प्रस्तावित 45 मीटर चौड़ी एमआर-3 बनाएगा। पूर्वी क्षेत्र में रिंग रोड से बायपास तक प्रस्तावित 40 मीटर चौड़ी एमआर-9 का निर्माण लगभग 90 प्रतिशत हो चुका है। रिंग रोड से पूर्वी भाग में लगभग 700 मीटर लंबाई में जेएनएनयूआरएम के तहत आईडीए मार्ग विकसित कर चुका है। इससे आगे खजराना दरगाह होते हुए बाकी 3.40 किमी लंबी रोड निगम बनाएगा। बायपास और रिंग रोड के मध्य एमआर-10 से लेकर खंडवा रोड, नेमावर रोड, एबी रोड तक विकास योजना में पूर्वी रिंग रोड-2 जो 45 मीटर चौड़ाई में प्रस्तावित है। आरई-2 को निगम बनाएगा। वहीं, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में निगम गोराकुंड चौराहे से जयरामपुर कॉलोनी तक की रोड 18 मीटर चौड़ी करेगा।इन सभी रोड के लिए दो से तीन माह में  काम शुरू करने की योजना है। इसके लिए संभागायुक्त ने निगमायुक्त आशीष सिंह और आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय के साथ बैठक कर आदेश दे दिए हैं।

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