ऑनलाइन शॉपिंग : बंपर छूट पर आंख मूंदकर भरोसा करना ठीक नहीं
ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से दी जाने वाली बंपर छूट की पेशकश अक्सर ग्राहकों को ज्यादा खरीदारी के लिए प्रेरित करती है। लेकिन क्या कंपनियों की यह बंपर छूट ग्राहकों के लिए बड़ी बचत का सौदा होती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बंपर छूट बिक्री बढ़ाने का एक तरीका मात्र है। इसमें खरीदारों को बहुत ही कम फायदा होता है। हालांकि इस तथ्य को जाने बगैर लोग छूट देख जमकर खरीदारी करते हैं।
जेएनयू की असिस्टेंट प्रोफेसर (अर्थशास्त्र) ब्रिशी गुहा के अनुसार, कभी भी बंपर छूट पर आंख-मूंदकर भरोसा नहीं करें। याद रखें, छूट आमतौर पर पुरानी चीजों पर उपलब्ध होती है। उपभोक्ताओं के पास सही कीमत जानने का पुख्ता तरीका भी नहीं होता है।
फ्लैश सेल का खेल
कुछ घंटों के लिए आने वाली इस बड़ी छूट के ऑफर के तहत डायनामिक तौर पर मूल्य निर्धारण होता है। जब तक आप सामान बुक करते हैं, कीमत बदल सकती है।
जीरो ब्याज ईएमआई
जीरो ब्याज ईएमआई हमेशा उच्च कीमत वाले उत्पादों पर मिलती है। यह कंपनी और बैंक के बीच साझेदारी से होता है, जिसमें बिके हुए सामान के लाभ से बैंक की ब्याज अदायगी होती है।
कैशबैक से जुड़ी रहती हैं शर्तें
कैशबैक का मतलब है आपके बिल का एक हिस्सा वापस कर दिया जाना, लेकिन यह नकदी छूट नहीं है। यह आपको उसी साइट से दोबारा खरीदारी पर मिलता है। साथ ही तय रकम से ऊपर ही खर्च करने पर कैशबैक का लाभ मिलता है।
कीमतों में छूट दिखावा
बेंगलुरु के एक आईटी पेशेवर का कहना है कि उन्होंने ई-कॉमर्स साइट से एक घड़ी पसंद की। इसकी बाजार में वास्तविक कीमत करीब 5000 रुपये थी, जबकि साइट पर सिर्फ 600 रुपये में उपलब्ध थी। लेकिन जब वह मिली तो फुटपाथ पर बेची जाने वाली 150 रुपये घड़ी जैसी थी। ऐसा बहुत से ग्राहकों के साथ होता है। अक्सर बड़ी छूट पुराने सामानों पर होती है। जब रिटेलर किसी प्रोडक्ट पर बड़ा डिस्काउंट ऑफर करते हैं तो उपभोक्ता के पास उसकी सही कीमत पता करने का पुख्ता साधन नहीं होता है।