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शेयर-संपत्ति से कमाई का ब्योरा आईटीआर में देना जरूरी

चालू वित्तीय वर्ष के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने का यह आखिरी महीना चल रहा है। आईटीआर फॉर्म में अपने वेतन और कमाई का पूरा विवरण देने के अलावा किसी भी तरह के कैपिटल गेन से हुई आय या नुकसान का ब्योरा देना भी जरूरी है।

दरअसल, वेतनभोगी आयकरदाता अपना आईटीआर भरते समय कंपनी या संस्था की ओर से मिले फॉर्म-16 की जानकारियों को भरना ही पर्याप्त मान लेते हैं, जो सही नहीं है। इसमें आपको किसी भी तरह के कैपिटल गेन से होने वाली कमाई या नुकसान का ब्योरा भी देना होगा। कैपिटल गेन से मतलब है जमीन या संपत्ति की बिक्री, सोने की बिक्री, शेयर, म्यूचुअल फंड या बॉन्ड में किए गए निवेश से होने वाली आय। इस तरह की कमाई का विवरण अपने आईटीआर फॉर्म में जरूर शामिल करें।

दो तरह से कर लगेगा
सोना, शेयर, बॉन्ड या किसी भी तरह के कैपिटल गेन से होने वाले लाभ पर दो तरह से टैक्स लगाया जाता है। शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म, जो उसे रखे जाने की समय-सीमा पर निर्भर करेगा। सामान्य रूप से कैपिटल गेन की गणना किसी संपत्ति की बेची गई राशि से खरीद लागत को घटाकर किया जाता है, लेकिन यह अलग-अलग संपत्तियों के लिए अलग होता है।

रीयल एस्टेट से हुई आय
अगर खरीदी गई अचल संपत्ति (जमीन, घर, फ्लैट) को खरीद के दो साल के भीतर बेचा जाए तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी) लगेगा और इससे ज्यादा अवधि में बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी) लगेगा। इसमें एसटीसीजी टैक्स स्लैब के आधार पर लगेगा जबकि एलटीसीजी पर 20 फीसदी होगा।

शेयर और म्यूचुअल फंड
अगर किसी शेयर या म्यूचुअल फंड को खरीदने के एक साल के भीतर के उसे बेचा जाए तो इस पर एसटीसीजी लगेगा, जबकि खरीद के एक साल से ज्यादा समय के बाद बिक्री पर एलटीसीजी जोड़ा जाएगा। चालू वित्तीय वर्ष के लिए एसटीसीजी 15 फीसदी है, जबकि एलटीसीजी पर अभी कर से छूट है। लेकिन अगले वित्त वर्ष 2019-20 से इक्विटी के एलटीसीजी पर एक लाख से ज्यादा आय पर 10 फीसदी टैक्स जोड़ा जाएगा। हालांकि इनके ट्रॉजेक्शन पर लगने वाली फीस की राशि को बाद में क्लेम किया जा सकेगा।

सोना और बॉन्ड
अगर सोना या बॉन्ड को खरीदने के तीन साल के भीतर बेचा जाएगा तो इस पर एसटीसीजी लगेगा, जबकि इसके बाद एलटीसीजी लगाया जाएगा। सोने पर एसटीसीजी टैक्स स्लैब के आधार पर लगेगा जबकि एलटीसीजी 20 फीसदी सूचीकरण के साथ। इसी तरह सूचीबद्ध कॉरपोरेट बॉन्ड को एक साल के भीतर बेचने पर एसटीसीजी लगेगा जो टैक्स स्लैब के आधार पर होगा। यदि इसे एक साल के बाद बेचा जाएगा तो 10 फीसदी टैक्स लगेगा।

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