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भारतीय सेना ने एक बार फिर ना​काम की चीन की चाल

नई दिल्ली । दुनिया की नजर में डोकलाम विवाद सुलझने के बाद बेशक भारत-चीन संबंधों में तनाव कम नजर आ रहा हो मगर असल में चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। चीन की भारतीय सीमाओं पर कब्जे की कोशिशें बरकरार हैं। डोकलाम विवाद के बाद चीन ने अब नई चाल चलते हुए सीमा पर अपनी रणनीति बदल दी है। दरअसल अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग में भारतीय सीमा क्षेत्र में चीनी टीमों द्वारा सड़क के निर्माण की कोशिशें लगातार जारी है। हालांकि चीन द्वारा सड़क बनाने के लिए लाई गई मशीनों को वापस लौटा दिया गया है लेकिन इसके बावजूद भी चीनी सेना की टुकड़ी ने घुसपैठ करने की एक बार फिर नाकाम कोशिश की जिसे भारतीय सेना ने नाकाम कर दिया।

19 घंटे पैदल चली सेना
सूत्रों के अनुसार एक कुली ने चीनी सेना के सड़क निर्माण की सूचना दी जिसके तुरंत बाद भारतीय सैनिकों को मैकमोहन लाइन के लिए रवाना कर दिया गया। अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले में सड़क नहीं होने की वजह से भारतीय सैनिकों को पैदल घुसपैठ स्थल तक पहुंचना पड़ा और जिसमें 19 घंटे लग गए। भारतीय सैनिकों के वहां पहुंचते ही चीनी सेना उलटे पैर लौट गई। जानकारी के अनुसार भारतीय सेना के 120 जवान राशन के साथ सीमा पर भेजे गए ताकि वे वहां पर करीब एक महीने तक आसानी से रह सकें।

उपकरण छोड़कर भागी चीनी सेना
एक रक्षा सूत्र ने बताया कि शुरूआत में ऐसा लगा कि चीनी सेना डोकलाम के बाद विवाद का एक और मोर्चा खोलना चाहती है। हमें यह विश्वास था कि वहां पर लंबे समय तक रुकना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि डोकलाम विवाद से सबक लेते हुए हमने 28 दिसंबर को ही घुसपैठ स्थल के लिए सैनिकों को रवाना कर दिया। सूत्र ने बताया कि स्थानीय लोगों के विरोध के बाद चीन के सिविलियन वर्कर अपने उपकरण छोड़कर भाग गए।

भारतीय क्षेत्र में भूस्खलन का खतरा
रक्षा सूत्र ने बताया कि चीन की तरफ की मिट्टी कठोर और हमेशा जमी रहती है। हमसे उलट वे आसानी से सड़क बना सकते हैं। भारतीय क्षेत्र में मिट्टी भुरभुरी है और भूस्खलन का खतरा बना रहता है। इससे जो भी सड़कें बनेंगी वे नष्ट हो जाएंगी। उन्होंने बताया कि जिस जगह पर घुसपैठ हुई है वहां तीन फुट बर्फ पड़ी थी। सैनिकों को नजदीक के नीचले इलाकों में वापस बुला लिया है।

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