अगर सरकारी कामकाज हिन्दी माह पर होता तो इस साल तेरह माह का मिलता वेतन
-12 नहीं 13 महीने का है यह हिन्दी साल
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]सारिका घारू[/mkd_highlight]
अंग्रेजी कैलेन्डर के चलन के बाद आज की युवा पीढ़ी हिन्दी माह के नाम तक ठीक से समझ नहीं जानती है जबकि सारे त्यौहार हिन्दी माह पर ही आधारित होते है। वर्तमान में चल रहे आश्विन अधिकमास को समझाने के लिए हिन्दी और अंग्रेजी कैलेन्डर की गणना का विज्ञान का समझना जरूारी है।
हिन्दु पंचाग में साल में 12 महीने होते हैं। इसका आधार चंद्रमा होता है । यह लगभग 354 दिन का होता है। अंग्रेजी कैलेन्डर में भी 12 माह होते हैं,लेकिन उनका आधार सूर्य होता है। यह लगभग 365 दिन और 6 घंटे का होता है। इस तरह हर साल हिन्दु और अंग्रेजी वर्षो के बीच करीब 11 दिनों का फासला रह जाता है। यह अंतर तीन सालों में एक महीने के बराबर हो जाता है। इस अंतर को पाटने के लिये हर तीन साल में एक चंद्र महीना अतिरिक्त बढ़ा दिया जाता है। इसे ही अधिक मास कहते हैं। किस महीने को अधिकमास का दर्जा दिया जाये इसके लिये यह देखा जाता है कि जब अमावस्या से पूर्णिमा तथा फिर पूर्णिमा से अमावस्या आने तक अगर सक्रांति नहीं आती है तो वह महीना ही अधिकमास कहलाता है।
-आश्विन मास को ही अधिकमास क्यों तय किया गया
इस साल 16 सितंबर को कन्या संक्रांति आई इसके बाद अब 17 अक्टूबर को तुला सक्रांति आयेगी। इस अवधि में 17 सितंबर से 16 अक्टूबर के बीच अमावस्या और पूर्णिमा दोनो आ रहे हैं अतः यह अवधि आश्विन या कुआंर महीने को अधिकमास के रूप में मनाया जा रहा है। अगर सरकारी तंत्र हिन्दी माह पर आधारित होकर कार्य करता तो अधिकमास के कारण इस साल 12 नहीं 13 महीने का वेतन मिलता।
-क्या होती है सक्रांति
पृथ्वी के चारों ओर के आकाश को बारह राशितारामंडल में बांटा गया है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा 12 अंग्रेजी माह में करती है। हर माह की एक खास दिनांक को सूर्य के पीछे दिखने वाला राशि तारामंडल बदल जाता है। इसे ही संक्रांति कहते हैं। यह आम तौर पर महीने की 14 से 17
तारीख के बीच होता है।
( लेखिका नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक है )