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BIHAR ELECTION : बिहार की सियासत को किस ओर ले जाएगा नीतिश का आखिरी चुनावी दांव

बिहार। बिहार के चुनाव में इस बार प्रत्याशियों ने हर तरह के दांव आजमाएं हैं। तेजस्वी ने जहां युवा कार्ड खेला तो वहीं नीतिश ने आरक्षण दांव और अब आखिरी में आखिरी चुनाव बताया है। गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा ऐलान कर दिया. उन्होंने पूर्णिया में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह मेरा अंतिम चुनाव है, अंत भला तो सब भला. अब नीतीश के इस बयान को चुनावी पंडित उनका आखिरी दांव मान रहे हैं तो विपक्षियों का कहना है कि नीतीश ने नतीजों से पहले ही सरेंडर कर दिया है.
नीतीश कुमार का यह बयान बिहार में आखिरी चरण के मतदान से दो दिन पहले आया है। नीतीश कुमार ने ये बयान तब दिया है, जब दो चरण का मतदान हो चुका है और तीसरे चरण के लिए जोर आजमाइश चल रही है।
15 साल से संभाल रहे सत्ता
नीतीश के इस बयान की वजह भी खास है। वैसे तो 15 साल से सूबे की सत्ता संभाल रहे नीतीश बिहार की राजनीति के धुरंधर नेता हैं, लेकिन इस बार के चुनाव में नीतीश को जगह-जगह विरोध का सामना करना पड़ रहा है। उनकी चुनावी रैलियों में लोगों ने कई बार जमकर उनका विरोध किया तो कई बार तो उन्हें निशाना भी बनाया गया।
पिछली बार थी चाचा भतीजे की जोडी
पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और आरजेडी साथ-साथ थे. तेजस्वी के साथ उनकी चाचा-भतीजे की जोड़ी थी, लेकिन इस बार तेजस्वी यादव ने महागठबंधन बनाकर नीतीश के खिलाफ जंग छेड़ रखी है. तेजस्वी पूरे चुनाव भर नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोलते रहे. नीतीश कुमार को थका हुआ करार तक दे दिया. हालांकि नीतीश कुमार ने तेजस्वी के इस सवाल पर बिना उनका नाम लिए चुनौती दे डाली कि उनके साथ जरा चलकर तो दिखाएं, फिर पता चलेगा कि कौन कितना थक गया है.

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