छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष के लिए ‘शुभ’ नहीं है अविश्वास प्रस्ताव, पढ़िए रोचक तथ्य
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है। विधानसभा के इतिहास में छठी बार अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ। राज्य विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बड़े दिलचस्प तथ्य हैं। ऐसे कुछ फैक्ट्स के बारे में आप भी जानकारी बढ़ा लीजिए।
आज छठी बार सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश हुआ। पिछली बार पेश अविश्वास प्रस्ताव पर रातभर चर्चा हुई थी। ऐसा भी हुआ है कि, जो नेता प्रतिपक्ष ने सदन में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया, वो अगला चुनाव नहीं जीत पाया। एक सबसे बड़ा तथ्य विधानसभा में कभी अविश्वास प्रस्ताव पास नहीं हो सका है।
एक नजर डालिए-
1- पहली विधानसभा, दो अविश्वास प्रस्ताव
अजीत जोगी सरकार के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय पहला प्रस्ताव 30 सितंबर 2002 को लाए थे ( 12 घंटे 8 मिनट चली चर्चा- 22 के मुकाबले 61 मतों से सरकार की जीत )
29 जुलाई 2003 को दूसरा प्रस्ताव आया। (17 घंटे 8 मिनट चली चर्चा- 23 के मुकाबले 54 मत)
2- दूसरी विधानसभा, तीसरा अविश्वास प्रस्ताव
रमन सिंह की सरकार के खिलाफ नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा 3 सितंबर 2007 को प्रस्ताव लाए- (प्रस्वाव के विपक्ष में 52 और पक्ष में 26 मत-17 घंटे 56 मिनट चली चर्चा )
3- तीसरी विधानसभा, चौथा अविश्वास प्रस्ताव
16 दिसम्बर 2011 को नेता प्रतिपक्ष रविंद्र चौबे के द्वारा फिर अविश्वास प्रस्ताव आया ( 23 घंटे 25 मिनट चली चर्चा- पक्ष में 37 और विपक्ष में 48 मत)
4- तीसरी विधानसभा, पांचवां अविश्वास प्रस्ताव
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने 24 जुलाई 2015 को अविश्वास प्रस्ताव लाए (24 घंटे 25 मिनट तक चली चर्चा – 37 के विरुद्ध 50 मत)
5- तीसरी विधानसभा, छठा अविश्वास प्रस्ताव
नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव कार्यकाल का दूसरा अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए। 22, दिसंबर 2017 को दोपहर 12 बजे से चर्चा शुरू हुई जो 23 दिसंबर सुबह तक चली। इस दौरान विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव 10 वोटों से गिर गया। (प्रस्ताव के पक्ष में 38 और विपक्ष में 48 वोट)