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भांजे की दोस्ती ने अजीज कुरैशी के घर सालों बाद लगवाया कांग्रेसियों का दरबार

 

– हर्दिक पटेल भोजन पर आए, तो चर्चा में आ गया कुरैशी निवास
– पटेल ने कहा युवाओं को आगे आना होगा तब बदलेगी राजनीति

 

भोपाल। रविवार की रात अचानक भोपाल से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस के गलियारों में नई चर्चा में जोर पकड़ा, चर्चा थी कि मप्र के तेज तर्रार
नेता और उतराखंड के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी के घर हर्दिक पटेल का आना और चर्चा करना। इस चर्चा से कांग्रेस के बड़े नेता भी अछुते नहीं रहे। वहीं सालों बाद कांगेस नेता जनाब कुरैशी के घर कांग्रेस नेताओं का दरबार लगा। सबके मन एक ही सवाल था कि हर्दिक पटेल, भाई(अजीज कुरैशी) के घर क्यों आए और क्या चर्चा हुई। इधर, हर्दिक ने वहां जमा हुए कांग्रेसियों और युवाओं को एकजुट होने की सलाह दी।
दरअसल, हर्दिक पटेल मध्यप्रदेश के दौरे पर है। उनके दौरे के पहले ही बड़े शहरों में लोगों से मिला और कार्यक्रम तय थे। इस बीच अचानक भोपाल में वरिष्ठ कांग्रेस नेता अजीज कुरैशी के भांजे सुफयान ने अपने उत्तर प्रदेश में रहने वाले अपने दोस्त अमील जमई से चर्चा की। इस चर्चा में हर्दिक पटेल के मध्यप्रदेश दौरे की बात भी शामिल थी। अमील जमई ने बताया कि हर्दिक पटेल भोपाल भी आयेंगे। दोनों के बीच पटेल को खाने पर बुलाने को लेकर कार्यक्रम तय हो गया। कार्यक्रम में सिर्फ खाना ही तय हुआ। उन्होंन परिवारिक महौल में श्री कुरैशी और पटेल की चर्चा भी निर्धारित की। इस कार्यक्रम की जानकारी हर्दिक पटेल को भी दी गई,लेकिन तय कार्यक्रम की जानकारी गोपनिय रखी गई। रविवार को देर शाम हर्दिक पटेल अपने साथी अखलेश काटियार के साथ व्हीआईपी रोड किनारे स्थित श्री कुरैशी के निवास पर पहुंचें, इससे कई कांग्रेसियों और खास लोग वहां जमा हो गए थे। बड़े दिनों बाद कुरैशी निवास पर कांग्रेसियों का जमावाड़ा लगा था। लगभग पौन-घंटे
हर्दिक पटेल और जनाब कुरैशी के बीच चर्चा हुई।

– वोट उसको दो जो बिना बोले काम करें
हर्दिक पटेल ने कहा कि वोट उसको देना चाहिए जो बिना बोले आपका काम करे दे। गिड़गिडऩे की आदत को छोडऩा होगा, ताली पिटने और स्वागत सत्कार करने से कुछ नहीं होगा। चुनाव के वक्त ध्यान रखना चाहिए कि कौन आपकी समास्याओं का हल करेंगा। हर्दिक ने कहा कि युवाओं को एकजुट होना होगा तब ही राजनीति में बदलाव होंगे।
– सौ बुद्धिजीवों को संबोधित करना ज्यादा अच्छा…
पटेल ने कहा कि मेरे हिसाब से सौ बुद्धिजीवों को संबोधित करना ज्यादा अच्छा है, वे सभाओं में अधिक भीड़ जुटाने की जुगाड़ की ओर इशारा करते हुए यह बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सौ बुद्धिजीवों से कही गई बात अधिक असर करती है।

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