वैक्सीन नीति पर हरदीप पुरी और थरूर के बीच चले शब्दों के तीर, एक-दूसरे ने लगाए गंभीर आरोप
नई दिल्ली। कोरोना की वैक्सीन को लेकर केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर के बीच जमकर शब्दों के तीर चले। भाजपा नेता पुरी ने जहां आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेता टीका लगवाने को लेकर लोगों के मन में संदेह पैदा कर रहे हैं वहीं थरूर ने पलटवार करते हुए कहा कि केंद्र सरकार विपक्ष पर उंगली उठाने के बजाए नीति की विफलता की जिम्मेदारी कब लेगी।
दोनों नेताओं के बीच ट्विटर पर छिड़ी जंग में, पुरी ने बुधवार को सिलसिलेवार ट्वीट किए थे। उन्होंने कहा था कि शशि थरूर जैसे कांग्रेस के नेता भारत की टीकाकरण नीति के संबंध में अपनी गलती स्वीकार करने को लेकर बच्चों जैसा हठ कर रहे हैं।
पुरी ने कहा कि टीके को लेकर कांग्रेस पार्टी का रुख दिनों-दिन और अजीबो-गरीब होता जा रहा है। नागर विमानन, हाउसिंग और शहरी मामलों के मंत्री पुरी ने आरोप लगाया कि (कांग्रेस नेताओं के) पूरे समूह ने बयानों और ट्वीट के जरिए लोगों के बीच टीका लगवाने को लेकर संदेह पैदा किया है।
उन्होंने कहा कि वे खुलकर टीके के प्रभावी होने, उत्पादकों के चयन और टीकाकरण पर संदेह जताकर लोगों के मन में शक पैदा करते हैं। पुरी ने कहा कि थरूर के 2021 में किए गए अंतर्विरोधी ट्वीट पर किताब छापी जा सकती है।
केन्द्रीय मंत्री ने कहा टीके के प्रभावी होने पर लगातार संदेह जताने के बाद उन्होंने 28 अप्रैल, 2021 को अपना रुख बदला, लेकिन उन्होंने यह नहीं माना कि वे गलत थे।
उन्होंने सवाल किया कि उस स्थिति की कल्पना करे, अगर भारत सरकार ने उनकी सलाह सुनी होती और टीके का उत्पादन शुरू करने के लिए और दो सप्ताह का इंतजार किया होता।
पुरी ने कहा कि अब जबकि देश कोविड संकट से जूझ रहा है, ये नेता अगर कोरोना से जंग में हाथ नहीं बटा सकते तो अवसरवाद की राजनीति छोड़कर कम से कम अपने ही अंतíवरोधी बयानों और ट्वीट का अध्ययन कर लें।
पुरी के एक ट्वीट को टैग करते हुए थरूर ने गुरुवार को कहा कि सरल तरीके से बताता हूं, क्या कांग्रेस के ट्वीट के कारण टीके की कमी हुई है, क्या भारत सरकार मेरे ट्वीट के कारण पर्याप्त मात्रा में टीके का ऑर्डर देने में असफल रही, क्या मई में कीमतों में असमानता तीन जनवरी को मेरे बयान से जुड़ी है कि कोवैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण पूरा नहीं हुआ है।
कांग्रेस नेता ने लिखा है, संक्षेप में कहूं तो भारत सरकार अपने खराब प्रदर्शन से ध्यान भटकाने के लिए विपक्ष पर उंगली उठा रही है। आखिर अपनी नीति और प्रबंधन की असफलता की जिम्मेदारी वह कब लेगी।