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न पंडित बचेगा न हलवाई, छत्तीसगढ़ में ऐसे खत्म होगी बाल विवाह की बुराई

रायपुर। महिला एवं बाल विकास विभाग ने बाल विवाह रोकने के लिए सख्त आदेश जारी किया है, जिसके मुताबिक अब बाल विवाह में शामिल पंडित और हलवाई को भी जेल की हवा खानी पड़ सकती है।

बाल विवाह को रोकने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग ने सभी कलेक्टरों को पत्र लिखा है। शासन ने कलेक्टर और महिला बाल विकास विभाग को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के कई इलाकों में अक्षय तृतीय के दिन बाल विवाह होते हैं। सबसे पहले इन जगहों को चिन्हांकित किया जाए। फिर पटवारी, कोटवार, शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और गांव में कार्यरत शासकीय कर्मचारियों को यह जिम्मा दिया जाए कि गांव में बाल विवाह न हो।

शासन ने यह भी निर्देश दिए है कि अगर जिन परिवारों की आर्थिक स्थिति खराब है और मजबूरी में बाल विवाह कर रहे हैं तो उन परिवार के मुखिया को समझाए कि मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत उनके बेटे-बेटियों की निर्धारित उम्र में शादियां हो जाएगी।

सीएम ने की अपील
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने भी अक्षय तृतीया के मौके पर सभी लोगों से बाल विवाह की सामाजिक बुराई से बचने की अपील की है। सीएम ने कहा है कि आज के समय में बाल विवाह की कुप्रथा काफी कम हो गई है, फिर भी राज्य और देश के कई इलाकों से खासकर अक्षय तृतीया के दिन इसकी छुट-पुट खबरें आती रहती हैं। हम सबको मिलकर बाल विवाह की इस बुराई को हमेशा के लिए समाप्त करने की जरूरत है।

सीएम रमन सिंह ने कहा कि पढ़ने-लिखने और खेलने की उम्र में बच्चों को वैवाहिक बंधनों में बांधना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। इससे उनके व्यक्तित्व का स्वभाविक विकास रुक जाता है। हमें अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उनकी शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है। केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को बेहतर से बेहतर सुविधा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका लाभ उठाना चाहिए।

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