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भगवान भरोसे जनता और कोरोना के चलते भगवान ने बन्द किये अपने दरवाजे

— सत्ता के खेल में दांव पर लगी जिन्दगियां
— महामारी को नेताओं ने दिखाया ठेंगा

 

                           (  इनसाइड स्टोरी डेस्क  )

 

मध्यप्रदेश। कोरोना वायरस संक्रमण को भले ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित कर दिया हो लेकिन हमारे प्रदेश के नेता इससे इत्तेफाक नहीं रखते हैं। इसका ताजा उदाहरण पिछले तीन चार दिनों में देखने में आया है, जहां नेताओं ने इस महामारी से बचाव की सुरक्षा को न केवल ठेंगा दिखाया बल्कि हजारों लोगों की जिन्दगियों से खिलवाड़ करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। इस घोर लापरवाही के लिए प्रदेश के दोनों दिग्गज राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस समान रूप से दोषी हैं।
मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफा देते ही भोपाल के दीनदयाल उपाध्याय भवन में हजारों की तादाद में भाजपाई खुशियां मनाने के लिए एकत्रित हो गए ढोल बाजों के बीच आतिशबाजी चली। यहां भाजपा के दिग्गज नेता भी खुशियां मानते हुए नजर आए लेकिन किसी ने भी यह नहीं सोचा की वर्तमान परिस्थितियों में यह भीड़ जलसा आदि उचित नहीं है। सत्ता पाने की खुशी में वह जनता की सुरक्षा भूल गए दूसरी तरफ शाम को एक बड़े नेताजी ने अपने वीडियो संबोधन में कहा कि कोरोना वायरस के चलते वे अपने घर पर आयोजित भोज निरस्त कर रहे हैं वे इस महामारी को लेकर भारी चिंतित है। वाह नेताजी की नौटंकी का जवाब नहीं। यह चिंता पिछले 15 दिनों से कहां गई थी और कुछ घंटों पहले भारी भीड़ के बीच विक्ट्री साइन बनाते समय कोरोना याद नहीं आया।
दूसरी तरफ अपनी सरकार को बचाने में जुटी कांग्रेस ने भी समय रहते प्रयास नहीं किए न तो सरकार बचाने के और न ही कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के। भोपाल के अधिकांश सर्वाजनिक स्थलों पर लोग बेरोकटोक आवाजाही कर रहे हैं। रेलवे स्टेशनों पर जांच की सुविधाएं नहीं हैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट अपने ढर्रे पर चल रहीं हैं। स्वास्थ्य अमला सरकार के निर्देशों का पालन करने के इंतजार में है क्योंकि वे बिना उपर के आदेश के बिना कुछ करते भी नहीं हैं। तीसरी तरफ प्रदेश के दो प्रमुख मुखिया एक दूसरे को चिट्ठी पत्री लिखने में व्यस्त रहे आधी आधी रात को चिट्ठियां लिखी गईं काश एक चिट्ठी महकमे को निर्देश देते हुए लिख देते कि महामारी से बचाव के लिए साधनों की कालाबाजारी करने वालों को जेल में डालो लेकिन ऐसा नहीं हो सका। जनता अपनी जान बचाने के लिए 10 गुना महंगे मास्क खरीदने को विवश लुटती जनता अपनी सुरक्षा को लेकर चितित है। मजेदार बात तो यह है यह सभी जिम्मेदार चाहे वह नौकरशाह हो या जनप्रतिनिधि सभी प्रदेश के नागरिकों को लेकर भारी चिंतित रहते हैं।
कथित जनसेवा की नौटंकियों के चलते पिछले 15 दिनों में कोरोना वायरस ने भारत के अधिकांश शहरों में दस्तक दे दी है। प्रदेश में भी जबलपुर, भोपाल, रायसेन, इंदौर सहित अन्य जिलों में संदिग्ध रोगी पाए गए हैं, लेकिन अभी तक सत्ता की नौटंकी के कारण जिलों के अधिकारी इन मामलों पर मौन साधे हुए हैं। दूसरी तरफ जिला अस्पतालों में न तो पार्यप्त सुविधाएं हैं और न ही जागरूकता। अधिकांश सरकारी अस्पतालों में सेनेटाइजर और मास्क तक पर्याप्त मात्रा में भी उपलब्ध नहीं हैं। बाजार में कालाबाजारी चरम पर है, 3 रूपए में मिलने वाला मास्क 20 रूपए में और सेनेटाइजर 300 रूपए में बिक रहा है अधिकांश दुकानों पर उपलब्ध भी नहीं है। ऐसी स्थिति में सरकार के नुमाइंदे सरकार बचाएं या लोगों की जान वाली स्थिति में सरकार को बचाते नजए आए। लोगों की जान भगवान भरोसे है लेकिन अब भगवानों के मंदिरों में आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। इन प्रयासों को पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है जिलों के अधिकारी अभी तक प्रभावी कदम उठाने में नकाम नजर आ रहे हैं। समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो परिणाम भयावाह हो सकते हैं जनजागरूकता के भरोसे इस महामारी से जीत हासिल नहीं होगी शासन स्तर पर भी चिकित्सकीय सुविधाआंे को दुरूस्त करना आवश्यक है। शहरों में वायरस नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का छिड़काव किया जाना जरूरी है लेकिन नगर पालिकाएं भी भंग पड़ी हैं कुल मिलाकर सब भगवान भरोसे है और फिलहाल कोरोना के कारण भगवान ने भी अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं।

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