मध्यप्रदेश में बिना प्रभारी मंत्रियों के सरपट दौडती सरकार
मध्यप्रदेश। मध्यप्रदेश में अब भाजपा की सरकार मजबूत हालत में आई है। बाकी के बचे तीन सालों तक अब वह काबिज रहेगी। बीते दिनों उप चुनाव के आए परिणामों के बाद सरकार और गदगद है और होना भी चाहिए, जनता ने भाजपा पर फिर भरोसा जताया है, और कांग्रेस को फिर विपक्ष की भूमिका में लाकर खडा कर दिया है।
अब मध्यप्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को निर्दलीय विधायक और अन्य दलों के विधायकों का समर्थन लेना मजबूरी नहीं है, ऐसे में प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री मंडल का विस्तार भी सामने नहीं आ सका है। मंत्री मंडल का विस्तार कब होगा, इस पर तो सबकी नजर टिकी हुई हैं। पर मार्च महीने से अभी तक जिलों का प्रभार भी मंत्रियों को नहीं सौंपा गया है, बीते नौ महीने से बिना प्रभारी मंत्रियों के ही प्रदेश की सरकार सरपट दौड रही है।
अधिकारियों के अलावा किससे कहें फरियाद
पूर्व में कांग्रेस सरकार जब प्रदेश में थी, तब ही जिलों के प्रभार मंत्रियों को दिये गए थे, पर भाजपा सरकार द्वारा अभी तक जिलों की जिम्मेदारी मंत्रियों को नहीं सौंपी है, इससे आम लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए वह केवल आला अफसरों तक ही अपनी बात पहुंचा सकते हैं, या फिर अपनी समस्या के निराकरण के लिए विधायकों तक ही िसमट की रह गए है, यदि जिलों के प्रभारी मंत्री भी नियुक्त हो चुके होते तो आम जन अपनी समस्याओं के िनराकरण लिए उनके दर पर भी जा सकते थे।
पेंच तो फंसा हुआ है
मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार में अब कांग्रेस छोडकर आये अब भाजपा के राज्य सभा सांसद ज्योितरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायक भी है, ऐसे में सियासी सूत्र बताते हैं िक मंत्री मंडल के विस्तार में जो देरी हो रही और अभी तक जिलों के लिए प्रभारी नियुक्त नही गए हैं, इसमें खींचतान बहुत है जब तक सामजस्य नहीं बैठ पाएगा तब तक मंत्री मंडल का विस्तार और प्रभारी मंत्री की नियुक्तियों का पेंच बना हुआ है, पर जिले के प्रभारी मंत्रियों की नियुक्तियां नहीं होने पर सरकार द्वारा संचालित योजनाओं का कि्रयान्वयन किस तरह से हो रहा है, पात्र लाेगों को इसका कितना लाभ मिल रहा है। इसकी जिम्मेदारी फिलहाल विधायक और आला अफसरों पर ही है।