फ्यूचर रिटेल पर अलीबाबा-गूगल की नजर, 2 दिन में 7 फीसदी उछले शेयर
भारतीय शेयर बाजार पर मंगलवार रिटेल किंग किशोर बियानी की कंपनी फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के शेयरों में 2 फीसदी की उछाल दर्ज हुई. इससे पहले सोमवार को कंपनी के शेयर 5.4 फीसदी की उछाल के साथ बंद हुए थे. गौरतलब है कि बीते दो दिनों में 7 फीसदी से अधिक की उछाल कंपनी के हाल में अपने 10 फीसदी शेयर बेचने के फैसले का नतीजा है. फ्यूचर ग्रुप के प्रमुख किशोर बियानी ने कहा है कि वह किसी ग्लोबल रिटेल कंपनी के साथ करार करते हुए कंपनी का प्रॉफिट मार्जिन बढ़ाने की कवायद कर रहे हैं.
शेयर्स बेचने के फैसले के बाद सोमवार को गूगल और अलीबाबा समर्थित पेटीएम ने 3,500-4,000 करोड़ रुपये खर्च कर फ्यूचर ग्रुप में 7 से 10 फीसदी हिस्सेदारी लेने की बात कही. इस दावे के बाद सोमवार को फ्यूचर ग्रुप का शेयर लगभग 5.4 फीसदी उछलकर बंद हुआ था.
बाजार के जानकारों का दावा है कि लोगों का रुझान फ्यूचर ग्रुप के लिए बेहतर हुआ है क्योंकि गूगल और अलीबाबा जैसी कंपनियों के निवेश के बाद कंपनी अपने शेयरधारकों को बेहतर रिटर्न देने की स्थिति में होगी. हालांकि अभी फ्यूचर ग्रुप ने इस आशय कोई जानकारी शेयर बाजार नियामक को नहीं दे है लेकिन माना जा रहा है कि कयासों से कंपनी का सेंटिमेंट निवेशकों के बीच बेहतर हुआ है.
गौरतलब है कि मौजूदा वित्त वर्ष फ्यूचर ग्रुप के लिए बहुत अच्छा नहीं रहा है. शेयर बाजार पर वित्त वर्ष 2018 के दौरान कंपनी के शेयरों में गिरावट रही है और शेयर्स ने बीएसई 200 इंडेक्स पर भी कुछ खास बढ़त नहीं हासिल की है.
रिटेल की दुनिया के जानकारों का दावा है कि इस डील से भारत में रिटेल कारोबार का भविष्य तय होगा. दरअसल फ्यूचर ग्रुप के पास देश में 1034 रिटेल स्टोर, कुल 14.5 मिलियन स्क्वॉयर फीट रिटेल स्पेस के साथ 500 मिलियन ग्राहक प्रति वर्ष हैं.
ग्राहकों की इतनी बड़ी संख्या के साथ वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान फ्यूचर ग्रुप का वार्षिक रेवेन्यू 18,200 करोड़ रहा. वहीं कंपनी का मार्केट कैपिटेलाइजेशन 26,090 करोड़ रुपये आंका गया है. कंपनी में प्रमोटर के पास कुल 40.33 फीसदी की हिस्सेदारी है.
दरअसल, बीते कुछ वर्षों से फ्यूचर ग्रुप को ऑनलाइन और ऑफलाइन रिटेल में रिलायंस रिटेल, वॉलमार्ट और अमेजन जैसे ग्लोबल दिग्गजों से कड़ी चुनौती मिल रही है. जहां एक तरफ ये ग्लोबल रिटेल दिग्गज भारत के रिटेल कारोबार में अपनी साख बनाने में जुटे हैं वहीं इनकी नजर 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकोनॉमी पर भी है.