छत्तीसगढ़ के दौरे पर आज आएंगे ज्योतिरादित्य समेत ये केंद्रीय मंत्री, केंद्र सरकार की योजनाओं की करेंगे समीक्षा
रायपुर। भाजपा के सामाजिक समरसता कार्यक्रम में भाग लेने के लिए सोमवार को चार केंद्रीय मंत्री छत्तीसगढ़ पहुंच रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया राजनांदगांव, भानुप्रताप सिंह वर्मा कांकेर, देवी सिंह चौहान दंतेवाड़ा और अश्वनी चौबे कोरबा प्रवास पर रहेंगे। केंद्रीय मंत्री आंकाक्षी जिलों में केंद्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा करेंगे। इसके साथ ही भाजपा पदाधिकारियों से भी संवाद करेंगे।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग राज्य मंत्री भानुप्रताप सिंह वर्मा कांकेर जाएंगे। केंद्रीय संचार राज्यमंत्री देवी सिंह चौहान दंतेवाड़ा में केंद्र सरकार की योजनाओं की समीक्षा करेंगे। वन, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री अश्विनी चौबे सोमवार को कोरबा पहुंचेंगे और मंगलवार को अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सोमवार रात दस बजे राजनादगांव पहुंचेंगे। वे मंगलवार को केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं से संवाद करेंगे।
केंद्रीय मंत्रियों के दौरे को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बघेल का बयान पद की गरिमा गिराने वाला है। साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस शोषित और केंद्र आश्रित प्रदेश बन चुका है। राज्य खुद के दम पर केवल झूठे आरोप लगाने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा। लगातार केंद्र से मिल रही मदद पर कांग्रेस सरकार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देना चाहिए, उसके बदले वह अनर्गल आरोप लगा रहे हैं। मुख्यमंत्री द्वारा लगातार भ्रामक जानकारियां देना प्रदेश के लिए चिंतनीय विषय है।
केंद्र ने पैसा नहीं दिया तो कांग्रेस सांसदों ने कितने बार उठाया सवाल
केंद्र सरकार से बकाया के बयान पर साय ने कहा कि हर नेता अलग-अलग आंकड़े जारी करता है। कोई कहता है कि केंद्र सरकार से 20 हजार करोड़ लेना है, कोई कहता है 22 हजार करोड़, तो कोई 30 हजार करोड़ का बकाया बताता है। कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए साय ने कहा कि ऐसे आंकड़े कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी दिया करते हैं। साय ने सवाल किया कि छत्तीसगढ़ के हितों पर फर्क पड़ रहा है और केंद्र सरकार वास्तव में पैसे नहीं दे रही है, तो कांग्रेस सांसदों ने यह प्रश्न लोकसभा और राज्यसभा में कितनी बार उठाया? यदि नहीं उठाया तो क्यों नहीं उठाया?