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महिला जनप्रतिनिधि आज भी रबर स्टेम्प,पति या पुत्र करते है कार्य

 

( बलराम सिसोदिया )

 

मध्यप्रदेश। प्रदेश में महिलाओं को भले ही चुनावों में 50 फीसदी आरक्षण दिया हो और महिलाएं चुन कर आ भी गई लेकिन महिला जनप्रतिनिधि सिर्फ रबर स्टेम्प बनीं हुई है आज उनके पति,पुत्र या परिवार का कोई पुरूष सदस्य ही उनकी स्थान पर कार्य करता है। यहां तक कई पंचायतों में तो सरपंच पति ही महिला सरपंच हसताक्षर करते है।

प्रदेश के सीहोर जिले की बुधनी-रेहटी में 62 ग्राम पंचायत है जिसमें 31 ग्राम पंचायतों की सरपंच महिला है। लेकिन ग्रामसभा की बैठक,पंचायत कार्यालय,जनपद और जिला पंचायत कार्यालयों तक की बैठकों में सरपंच पति ही उनके स्थान पर शामिल होते है। यही हाल नगर परिषद का है। यहां कुल 15 वार्ड है जिसमें से 6 वार्ड में महिला पार्षद और परिषद अध्यक्ष भी महिला ही है। नगर परिषद की अधिकांश महिला पार्षद बैठक या कार्यक्रमों में दिखाई नहीं देतीं उनके स्थान पर उनके पति या पुत्र ही नजर आते है। पंचायतों और नगरपरिषद कार्यालय में महिला सरपंच के सम्पर्क मोबाइल नंबर के कॉलम में उनके पति या पुत्र का मोबाइल नंबर लिखा गया है। ग्रामीण इलाके में आज भी महिला सरपंच अपने घारेलू कार्य करती और पंचायत संबधी कार्य उनके परिवार के पुरूष करते है। हद यह है कि जनपद या नगरपरिषद के अधिकारी भी महिला जनप्रतिनिधि से सम्पर्क न करते हुए उनके पति या पुत्र से करते है। महिला जनप्रतिनिधियों को पता नहीं होता कि उनके नाम पर चल क्या रहा है? रेहटी तहसील की ग्राम पंचायत  आवलीघाट,नयागांव,गौडी गुराडिया,सेमरी,बोरी,बारधा, मुराह सहित बहुत सी ग्राम पंचायत मै महिलाओ के पति या पुत्र के मोबाइल नंबर अंकित है ।

नहीं आई जागरूकता …

ग्रामीण इलाकों में महिला जनप्रतिनिधियों को स्वंय में कार्य करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं,लेकिन अब तक इन इलाकों में जागरूकता नहीं आई है आज भी महिला जनप्रतिनिधि घरों में कैद है। वो आज भी सिर्फ चुल्हा—चौका ही करती है। उन्हें पंचायत या नगरपरिषद के कामकाज की जानकारी नहीं है।

अब यह फोटो दे​खिए…

इस फोटो में रेहटी नगर पंचायत अध्यक्ष वार्ड तीन में पानी टंकी निर्माण कार्य का भूमिपूजन कर रही हैं,उनके साथ वार्ड की महिला पार्षद है शेष तीन पार्षद पति है।

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