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बुलेट ट्रेन के साथ-साथ अपने वाहनों से भर सकेंगे फर्राटा

नई दिल्ली। अहमदाबाद से मुंबई के बीच बन रहे बुलेट ट्रेन के किनारे आप अपने वाहनों से भी फर्राटा भर सकेंगे। रेल ट्रैक के किनारे चार मीटर चौड़ी सड़क का भी निर्माण करने की योजना तैयार की गई है। यह एलिवेटेड रोड होगा जो पिलर पर तैयार किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट की खासियत यह होगी कि टनल ट्यूब में आने-जाने वाले दो ट्रैक का निर्माण किया जाएगा। यह अपने तरह का अलग टनल होगा जिसमें एक साथ दो ट्रेन पूरी रफ्तार में चल सकेंगी।

बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की रफ्तार तेज गति पकडऩे लगी है। नेशनल हाई स्पीड कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचसीएल) ने ट्रैक के किनारे सड़क निर्माण करने की योजना भी तैयार की है। हालांकि यह सड़क सभी के लिए नहीं होगी। इसमें उन ग्रामीण इलाकों को वाहन चलाने की अनुमति होगी जिन्होंने अपने भूमि का इस्तेमाल करने के लिए सौंपे होंगे। उनसे किसी तरह का टोल टैक्स भी नहीं लिया जाएगा।

बड़ोदरा में बनेगा सैंपल ट्रैक
बुलेट ट्रेन ट्रैक बनाने के पहले एक सैंपल ट्रैक का भी निर्माण किया जाएगा। बड़ोदरा में 75 मीटर का यह ट्रैक तैयार किया जाएगा जिस पर ट्रेनिंग दी जाएगी। इसका फायदा यह होगा कि लोकोपॉयलट को ना तो ट्रेनिंग के लिए जापान भेजने की जरूरत होगी और ना ही ट्रेन चलाने में किसी तरह की परेशानी होगी।

14-15 हजार लोगों की जमीन अधिग्रहण होगा

बुलेट प्रोजेक्ट के लिए 14-15 हजार लोगों का जमीन अधिगृहित होने का अनुमान रेलवे ने लगाया है। इसके लिए मुआवजा के साथ ही उन्हें बिना टोल टैक्स दिए ट्रैक के किनारे बने हुए सड़क पर वाहन चलाने की अनुमति दी जाएगी।

बड़े भू-भाग पर जापान-भारत मिलकर ट्रैक निर्माण करेंगे
508 किलोमीटर कुल ट्रैक निर्माण में 460 किलोमीटर निर्माण कार्य भारत व जापान मिलकर काम करेगा। इसके अलावा अन्य निर्माण सिर्फ जापान करेगा। दरअसल डेढ़े-मेढ़े रास्ते में जापानी विशेषज्ञ ही निर्माण कार्य में जुटेंगे।

एनएचसीएल के प्रबंधक अचल खरे ने बताया कि 12 स्टेशनों में 10 स्टेशन के निर्माण के लिए राज्य सरकार को दस्तावेज सौंपने का काम पूरा कर लिया गया है। इस प्रोजेक्ट पर अगले साल जुलाई महीने से बापी, सूरत, बलसाड़, बड़ोदरा के बीच 233 किलोमीटर ट्रैक का काम भी शुरू कर दिया जाएगा। 4 टनल बनाने के लिए डिजाइनिंग का काम भी शुरू कर दिया गया है। मुंबई-थाने के बीच 21 किलोमीटर टनल की डिजायनिंग पहली बार अप-डाउन दोनों ट्रेन के लिए की गई है। इसका फायदा यह होगा कि टनल के बाहर ट्रेन रोकने की आवश्यकता नहीं होगी।

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