हरियाणा पंजाब दिल्ली से चौपालों की ओर चला किसान आन्दोलन
दिल्ली। किसान आन्दोलन शनिवार को भी जारी रहा। किसान आनदोलन में जहां सरकार इसे किसानों की तकदीर बताने वाला बता रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद कह चुके है कि किसानों के लिए जो सुधार किये गए है उनका लाभ मिलना किसानों को शुरू हो गया है। इसके साथ ही किसान आन्दोलन पर आन्दोलन के पक्ष में और विपक्ष में देश में चर्चाएं जारी है। सियासत में किसान आन्दोलन पर बवाल मचा हुआ है तो आन्दोलन दिल्ली से निकलकर गांवों की चौपालों तक पहुंच गया है। इससे यह आन्दोलन हरियाणा पंजाब से अब गांवों की ओर चल पडा है।
गौर तलब है कि किसान आन्दोलन को शनिवार को 24 वां दिन हैय शनिवार को सरकार चिटठी भी चर्चा का विषय बनी हुई इसमें सरकार मिंण्त्रयों ने कहा है कि किसानों को भडकाया जा रहा है और इसमें वह लोग भी शामिल है जो 1962 के यु़़द्व में देश के साथ नहीं खडे हुए थे। शुरु से ही किसान आन्दोलन पर आरोप लगते रहे है कि यह असली किसान नहीं है इसमें सियासत हो रही है और विपक्ष द्वारा हवा दी जा रही है बाकी देश के किसान तो खुश है इसकी वजह भी है कि जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकारें है वहां किसान आन्दोलन ज्यादा जोर नहीं पकड सका है।
केजरीवाल ने फाडी प्रतियां, भाजपा के पूर्व मंत्री का समर्थन
किसान आन्दोलन में आम आदमी पार्टी के नेता भी शुरू से ही किसानों के साथ खडे हुए नजर आ रहे है। संसद में आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने माइक तोड दिया था। इसलिए उन पर कार्रवाई भी हुई थी। अब आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कानून की प्रतियां पफाड कर विरोध जता दिया हैय वहीं भाजपा नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री वीरेन्द्र सिंह ने किसान आन्दोलन का समर्थन कर दिया है। इससे केन्द्र सरकार की भी मुश्किले बरकरार बनी हुई है।
रविवार को श्रद्धांजलि सभा
किसान आन्दोलन में भिन्न भिन्न कारणों से दो दर्जन से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है। आन्दोलन में मरने वाले किसानों को किसान संगठन के नेताओं ने शहीद बताया हैयकिसान नेताओं ने कहा कि सभी लोग किसान आंदोलन के लिए शहीद हुए हैं। हम उनके लिए 20 तारीख को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करेंगे। इसमें अब तक जान गंवाने वाले किसानों को याद किया जाएगा। श्रद्धांजलि कार्यक्रम से किसानों के पक्ष में देश भर में माहौल खडा हो सकता है।
मार ली थी गोली
किसान आन्दोलन में किसानों की मौतों के मामले में बीते दिनों ही सिंघु बॉर्डर पर ही संत बाबा राम सिंह ने भी आत्महत्या कर ली थी। उनके सेवादारों ने बताया था कि वह किसानों की हालत देखकर काफी आहत हुए थे। इसके बाद उन्होंने एक सुसाइड नोट लिखकर खुद को गोली मार ली। यह मामला भी किसान आन्दोलन में चर्चा का विषय बना हुआ है। दूसरी तरपफ यदि किसान आन्दोलन और ज्यादा दिनों तक चलता है जहां सरकार की मुशीवतें बढेगी वहीं इस समय पड रही कडाके की सर्दी के कारण और किसानों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड सकता है।