विदेशी धरती पर भी पहुंचा किसान आंदोलन
— अमेरिका, आस्टेलिया और इंग्लैंड में होगा प्रदर्शन
दिल्ली। देश भर में किसानों का आन्दोलन सफलतापूर्वक 27 वें दिन में प्रवेश कर गया। किसानों की क्रमिक भूख हडताल मंगलवार को भी जारी रही। वहीं तापमान गिरने से इस समय लगातार कडाके की सर्दी पड रही है पर किसानों कडाके की सर्दी भी किसानों के हौंसले को डिगा नहीं पा रही है। किसान दिल्ली के किनारे डटे हुए है और सरकार भी अडी हुई है इस पूरे खेल को देश देख रहा है। अब यह किसान आंदोलन विदेशी धरती पर भी अपने कदम रखने जा रहा है। अमेरिका, आस्टेलिया सहित इंग्लेंड में 25 दिसंबर को प्रदर्शन किया जाएगा।
गौरतलब है कि दिल्ली की रक्त जमा देने वाली सर्दी में जहां शाम ढलते ही लोग घरों में कैद हो जाते है, ऐसे में किसान सडक पर अपनी मांगों को लेकर हडताल कर रहे हैं अब तो उन्होंने क्रमिक भूख हडताल शुरू कर दी है। किसानों की भूख हडताल मंगलवार को भी जारी रही; वहीं आन्दोलन के कारण से दिल्ली तक जाने वाले कई मार्ग बंद है। इसमें दिल्ली मेरठ एक्सप्रेसवे बंद होने से दिल्ली से यूपी और यूपी से दिल्ली जाने वाले तमाम रास्तों पर लंबा जाम लग गया है। जानकारी के अनुसार भोपरा बॉर्डर, ज्ञानी बॉर्डर, महाराजपुर बॉर्डर, कौशांबी, वैशाली और लिंक रोड आदि सभी रास्तों पर लंबा जाम लगा हुआ है। इससे आवागमन में काफी परेशानी हो रही है।
हार कर तो नहीं जाएंगे
किसान नेता राकेश टिकेत ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा है कि यदि सरकार नहीं मानती है वह भी इस तरह से हार कर घर वापस नहीं जाएंगे, वहीं उन्होंने कहा कि सभी किसान संगठनों की चर्चा चल रही है, चर्चा के बाद आगामी रणनीति पर काम किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस समय भी किसान दिल्ली के किनारों को घेरे हुए आन्दोलनरत है। मांगे वही है कि केन्द्र सरकार द्वारा जो तीन कानून लाये गए हैं। उन्हें रदद किया जाए, वहीं उन्होंने कहा है कि सरकार से वार्ता के लिए किसानों की बैठक में फैसला लिया जाएगा।
विदेश में भी जताएंगे विरोध
किसान आन्दोलन पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई किसानों को समर्थन भी पूरे देश से मिल रहा है। पूरे विपक्ष किसानों के आन्दोलन का समर्थन कर चुके है। सरकार के घटक दलों के नेता भी किसानों के साथ खडे हो चुके है, अब किसान आन्दोलन की गूंज विदेशों में सुनाई देगी। भाकियू अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि 25 दिसंबर को कनाडा, इंग्लैड, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ऑस्ट्रिया जैसे देश जहां पंजाबियों की संख्या ज्यादा है, वहां की एंबेसी के बाहर प्रदर्शन किया जाएगा। देश में किसान आन्दोलन सरकार के लिए भी दिनों दिन चुनौती बनता जा रहा है।