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फर्जी जाती प्रमाण पत्र मामला : समरीते का वार बिसेन पर न पड़ जाए भारी

 

— हाईकोर्ट में लगी है फर्जी आय-जाति प्रमाण पत्र की याचिका

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]दिलीप पाल[/mkd_highlight]

 

मध्यप्रदेश । प्रदेश के बालाघाट जिले के कददावर भाजपा नेता पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री तथा वर्तमान विधायक गौरीशंंकर बिसेन की मुुश्किलें बड़ सकती हैं। उनके खिलाफ बालाघाट क्षैत्र के ही एक और कददवर नेता और पूर्व विधायक किशोर समरीते ने हाईकोर्ट जबलपुर में एक याचिका लगाई है, जिसमें उन्होंने कहा है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बिसेन ने फर्जी जाती एवं आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है।

पूर्व विधायक किशोर समरीते की याचिका में उल्लेख किया गया है कि बिसेन ने महज 80 हजार रुपय की वार्षिक आय बताई है जबकि उनकी वार्षिक आमदनी इससे कहीं ज्यादा है। वहीं उनके क्रीमी लेयर ओबीसी वर्ग के प्रमाण पत्र को भी चुनौती दी गई है। क्योंकि बिसेन ने उनके द्वारा प्रस्तुत प्रमाण पत्र में यह उल्लेख नहीं किया है कि वह पूर्व मेें विधायक एवं सांसद भी रह चुके
हैं। समरीते के वकील शिवेन्द्र पाण्डे ने न्यायालय में यह दलील दी है कि विसेन द्वारा जो वार्षिक आमदनी 80 हजार रुपए बताई गई है उसे एसडीएम वारासिवनी ने बिनी जींच पड़तील किए मान भी लिया और वाकायदा प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया। इस फर्जी कहे जाने वाले प्रमाण पत्र का उपयोग बिसेन ने लोकसभा, विधानसभा में तो किया ही बल्कि अपने स्वजनों एवं परिजनों के लिए
भी किया है। अभी इस मामले में राज्य सरकार के पैनल लायर को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है। इसके बाद ही आगे मामले की सुनवाई होगी। यदि हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई जल्दी कर ली और यदि यह निर्णय समरीते के पक्ष में चला गया तो मध्य प्रदेश में एक और विधानसभा उपचुनाव तय है।

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