मॉं-बाप की भले ही ना सुने लेकिन चेतन भगत ने कहा है तो मानेंगे !
—लोग क्या कहेंगे यह हिचक छोड़ें और थोड़े से बेशर्म भी हो जाएं
— चेतन भगत ने बोलते रहे और लोग तालियां पीटते रहे
(कीर्ति राणा )
मध्यप्रदेश। मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक चेतन भगत इंदौर शहर में थे। उन्होंने अपनी स्पीच में ऐसा कुछ नहीं कहा जो सीख घर में बच्चों को मां-बाप नहीं देते हैं। बस फर्क इतना है कि वही सब बात चेतन भगत ने मंच से कही उनकी बात के समर्थन में बार बार तालियां पीटने वाले युवा उनकी बात आसानी से मान जाएंगे। वजह यही कि ये सारी सीख वो चेतन भगत दे रहे थे जिनकी लिखी पांच में से तीन किताबों पर बनी फिल्में सुपर हिट रही हैं। अपनी मोटिवेशनल स्पीच में उन्होंने दर्शकों-खासकर छात्रों-को टिप्स भी दिए कि अपार्चुनिटी (अवसर) के लिए यहां वहां भटकने की जरूरत नहीं है। अवसर तो आप के आसपास ही हैं बस लोग क्या कहेंगे यह हिचक छोड़ें और थोड़े से बेशर्म भी हो जाएं। अपने स्ट्रगल के दिनों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा मैं तो बैंक में अच्छी भली नौकरी कर रहा था लेकिन लिखने का कीड़ा था किंतु पैसे नहीं मिलते थे, फुलटाईम लिखने के लिए नौकरी छोड़ने का मन बनाया तो सास-ससुर से लेकर पब्लिशर तक ने समझाया कि राइटिंग से रोजी रोटी नहीं चलती। बैंक का प्रोफेशन मुझे लूटने का लगता था पेन भी बांध कर रखने वाली पीएनबी को नीरव मोदी लूट लेता है।मेरी पत्नी नौकरी में है इसलिए भी जॉब छोड़ने का रिस्क ले सका।
मौका झपटने के टिप्स कुछ इस तरह दिए-
नौकरी छोड़ कर लिखना शुरु किया, पुणे में पहली मोटिवेशनल स्पीच देने का अवसर मिला, यह ‘स्पॉक्स’ स्पीच गूगल पर डाल दी और मैं स्पीकर बन गया।अखबारों में कॉलम लिखने लगा, जो नॉवेल लिखे उसे लेकर बॉलीवुड में भटकता रहा।
राजू हिरानी तब मुन्ना भाई बना रहे थे।उसी दौरान मुंबई में ऐसी घनघोर बारिश हुई कि शूटिंग बंद, बिजली बंद, वो भी घर से निकल नहीं सके, टाईमपास करने के लिए टेबल पर रखी मेरी किताब पढ़ने लगे और थ्री इडियट फिल्म बनी।
अवसर कोई देगा नहीं, अपार्चुनिटी खुद ढूंढना पड़ेगी, बस आंखे खोलकर रखें। कोई भी आदमी यकायक सफल नहीं बनता और न ही पहली बार पर छक्का लगता है।वेलेंटाईन डे पर आप बीस को मैसेज भेजेंगे, किसी एक का लाईक मिलेगा लेकिन मैसेज तो भेजना पडेंगे ना।
मोबाइल में घुसे रहोगे तो अवसर नहीं दिखेंगे
आज मोबाइल फोन बड़ा एडिक्शन हो गया है। मैंने स्क्रीन टाईम एप पर देखा तो हर दिन साढ़े पांच घंटे खर्च हो रहे थे। एक दिन में करीब 14 घंटे सक्रिय रहते हैं इसमें भी पांच घंटे मोबाइल पर खर्च हो रहे हैं! मोबाइल में घुसे रहोगे तो अपार्चुनिटी नहीं दिखेगी। सक्सेस चाहिए तो फोन वाला टाईम चुराइए।इश्कबाजी का भी यंग एज में खूब जोर रहता है लेकिन पहले करियर पर फोकस करिए।इश्कबाजी में ब्रेकअप की नौबत आ गई तो मजनू बन जाओगे, करियर धरा पह जाएगा।
किताबें पढिए, मोटिवेशनल वीडियो देखते रहिए।
हीरोइन को नहीं, करियर बनाने वाली बातों को फॉलो करिए
आज के युवा का ज्यादा वक्त पोलिटिक्स पर बहस में बीत रहा है।इससे जॉब नहीं मिलने वाला है।
चुप सा रहने वाला और खूब बोलने वाला पीएम भी इन दस वर्षों में देख लिया है, समस्याएं जो तब थीं अब भी हैं बदलाव हुआ भी है तो थोड़ा।
‘लुक बिजी डू नथिंग’ वाला व्यवहार बदलिए, जितना वक्त मिले कुछ नया सीखिए।
कुछ नया करना चाहते हैं तो चुनौती लेने का साहस भी रखिए।
लोग क्या कहेंगे, जब तक दिमाग से इज्जत की चिंता का भय नहीं निकालेंगे,थोड़े बेशर्म नहीं बनेंगे अपार्चुनिटी लेने में हिचकते रहेंगे।
यहां किताबें पढ़ी तो जाती हैं
अपने ताजा उपन्यास ‘द गर्ल रूम इन 105’ के लोकार्पण समारोह को भारत में अब तक का सबसे बड़ा समारोह बताते हुए चेतन भगत ने इंदौर में पत्रकार प्रवीण शर्मा द्वारा आयोजित किए जाने वाले लिट फेस्ट की तारीफ करते हुए कहा दिल्ली, जयपुर में फेस्टिवल के नाम पर पार्टी होती है।यहां किताबें पढ़ी तो जाती हैं।
सुकून इस बात का भी है कि पहली बार मैंने हिंदी को भी अंग्रेजी जितना महत्व दिए जाने पर काम किया है।उन्होंने अपनी किताबों का हिंदी में अनुवाद करने वाले सुशोभित शक्तावत (भोपाल) का भी नामोल्लेख किया।आयोजक पत्रकार शर्मा ने कहा अभियान के तहत एकसाथ 18सौ पुस्तकें खरीदी हैं जो रिकार्ड है।
कौटिल्य एकेडमी द्वारा प्रस्तुत ‘पुस्तकों से प्यार’ अभियान के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में एकेडमी के श्रीद्धांत जोशी ने उनसे ‘कौटिल्य भारत’ पत्रिका का विमोचन कराया। अपने संबोधन में श्रीद्धांत जोशी ने कहा युवाओं पर हमेशा आरोप लगाया जाता है कि पढ़ने की हेबिट से दूर हो रहे हैं लेकिन चेतन जी ने युवाओं को किताबों से जोड़ा है। ‘द गर्ल रूम इन 105’ के लोकार्पण पश्चात मैंने भी यह किताब खरीदी, चेतन भगत ने इस किताब पर दस्तखत किए।