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मध्य प्रदेश में उपचुनाव की घोषणा के साथ ही सियासी गर्माहट तेज

देश में लोकसभा की तीन एवं विधानसभाओं की 30 सीटों के लिए उपचुनाव कराए जाने की घोषणा के साथ ही मध्य प्रदेश में भी सियासी गर्माहट बढ़ने लगी है। राज्य में लोकसभा की खंडवा सीट के अलावा विधानसभा की पृथ्वीपुर, जोबट और रैगांव सीटों पर उपचुनाव होने हैं। खंडवा संसदीय सीट भाजपा सांसद नंदकुमार सिंह चौहान के निधन से रिक्त हुई है। विधानसभा की पृथ्वीपुर एवं जोबट की सीटें कांग्रेस विधायकों बृजेंद्र सिंह राठौर एवं कलावती भूरिया तथा रैगांव सीट भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन से खाली है। चुनाव आयोग ने इन सीटों पर 30 अक्टूबर को मतदान कराने की घोषणा की है।

यद्यपि इन सीटों के उपचुनाव से राज्य की वर्तमान सियासी तस्वीर में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने वाला है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस सहित सभी पार्टियों के लिए यह प्रतिष्ठापरक हो गया है। उपचुनाव के परिणाम से भले ही शिवराज सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन इसकी ध्वनि भविष्य निर्माण में सहायक होगी। लगभग चार माह पूर्व विधानसभा की दमोह सीट पर भी उपचुनाव हुआ था। यह सीट 2018 में कांग्रेस ने जीती थी, लेकिन उसके विधायक राहुल सिंह लोधी त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल हो गए। बाद में उपचुनाव में भाजपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया, परंतु उन्हें हार का सामना करना पड़ा। तब भी भाजपा की शिवराज सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ा, लेकिन इससे कांग्रेस को सरकार पर दबाव बनाने का मौका मिल गया।

खंडवा संसदीय क्षेत्र परंपरागत रूप से भाजपा का गढ़ रहा है। लोकसभा में भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान ने छह बार यहां का प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अरुण यादव को 2.73 लाख से अधिक मतों से कराकर उन्होंने यह सीट जीती थी। चौहान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। उनके निधन से रिक्त हुई इस सीट पर प्रत्याशी के लिए भाजपा और कांग्रेस में खूब जोरआजमाइश चल रही है। कांग्रेस में फिर से अरुण यादव प्रबल दावेदार हैं। हालांकि पार्टी के सर्वे में विधायक सचिन बिरला का नाम भी आया है। वे बड़वाह से विधायक हैं, जो खंडवा संसदीय क्षेत्र में आता है। इसके अलावा बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा भी अपनी पत्नी जयश्री सिंह के लिए कांग्रेस का टिकट मांग रहे हैं। भाजपा में दिवंगत नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र हर्षवर्धन को टिकट मिलने की संभावना प्रबल है।

पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र से बृजेंद्र सिंह राठौर पहले निर्दलीय चुनाव जीतते रहे और फिर कांग्रेस में आने के बाद भी लगातार जीत हासिल की। उनका निधन होने से यह स्थान रिक्त हुआ। कांग्रेस यहां उनके पुत्र नितेन्द्र सिंह राठौर को प्रत्याशी बनाने जा रही है। भाजपा भी इस सीट पर जीत के लिए पूरा दम लगा रही है। जोबट विधानसभा सीट कांग्रेस की कलावती भूरिया के निधन से रिक्त हुई है। यहां कांग्रेस अपने जिला अध्यक्ष महेश पटेल और पूर्व विधायक सुलोचना रावत में से किसी एक पर दांव लगा सकती है। सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट पर दिवंगत भाजपा विधायक जुगल किशोर बागरी के परिवार के ही किसी सदस्य को टिकट देने की चर्चा चल रही है।

राज्य में इन सीटों के उपचुनाव की अहमियत का पता इसी से चलता है कि खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूरी ताकत झोंक दी है। उपचुनाव की घोषणा से पहले ही वे जनदर्शन यात्रा के माध्यम से उपचुनाव वाले क्षेत्रों में जनता से सीधा संवाद कर चुके हैं। यात्र के माध्यम से उन्होंने जहां कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया, वहीं जनता को यह संदेश भी दे दिया कि वे विकास में कोई कसर नहीं रखेंगे। कांग्रेस प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ और उनके चुनाव प्रबंधन कौशल के भरोसे है। दमोह विधानसभा के उपचुनाव में उन्होंने पूरे क्षेत्र को मतदान केंद्र, मंडल और सेक्टर में बांटकर मैदानी जमावट की थी। इस चुनाव में भी कांग्रेस की ओर से यही रणनीति अपनाई जा रही है। वे अपने स्तर पर प्रत्याशी चयन के लिए सर्वे भी करा चुके हैं और सभी दावेदारों को संदेश भी दे दिया है कि जिसका नाम सर्वे में आएगा, उस पर ही पार्टी दांव लगाएगी।

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