सोशल मीडिया कहीं आपको अनसोशल न कर दे
— सोशल मीडिया के उपयोग में अनुशासन जरूरी
( सविता ठाकुर )
मेरे व्हाट्स एप पर किसी मित्र ने एक जोक शेयर किया. पति पत्नी डांस कर रहे थे पत्नी का पैर और उसकी सैंडल पति के पैर पर पड़ा, पति दर्द से कराह उठा. उसने पत्नी को बताने की बहुत कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हुआ. आखिर उसने अपनी पत्नी को व्हाट्स एप पैर मेसेज किया की तुम्हारा पैर मेरे पैर के ऊपर है, उसे हटाओ प्लीज. मेसेज अलर्ट की आवाज़ सुनते ही पत्नी ने मेसेज चेक किया और रिप्लाई किया –सॉरी. यह निश्चित रूप से एक अतिश्योक्तिपूर्ण हास परिहास सामग्री है, लेकिन सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग का असर आज समाज और परिवार में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. अब लोग परिवार में भी एक दूसरे के साथ सीधे संवाद की बजाय सोशल मीडिया पर ज्यादा निर्भर होते जा रहे हैं. सोशल मीडिया निश्चित रूप से एक प्रभावी माध्यम है किन्तु वह कभी भी अन्तेर्वैयाक्तिक संवाद या इंटरपर्सनल कम्युनिकेशन का विकल्प नहीं हो सकता. न केवल युवा और बच्चे बल्कि प्रौढ़ भी आज सोशल मीडिया के आदी हो रहे हैं. एक तरफ ये हमारे हमारे रिश्तो को कमज़ोर कर रहा है तो दूसरी ओर हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है.
सोशल मीडिया का सीमित उपयोग करें साथ ही उसके उपयोग में भी कुछ अनुशासन का पालन करना जरूरी है. बार बार मेसेज चेक करना कहीं आपकी आदत तो नहीं ? यदि ऐसा है तो सतर्क हो जाइये क्योकि आपको इसकी लत लग गई है. यदि कोई मेसेज नहीं आएगा या आपके मेसेज का जवाब नहीं आएगा तो आप बेचैन हो उठेंगे. यदि फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं और यदि आप इस बात को जानने के लिये परेशान हैं कि आपकी पोस्ट को कितने लाइक्स या कितने कमेंट्स मिले, तारीफों पर खुश होना और तारीफ़ न होने पर निराश हो जाना ये सब इस बात की निशानी है कि आपकी सोशल साइट्स आपके मन मस्तिष्क पर गहरा असर कर रही है. इसलिए यह बहुत जरूरी है की सोशल मीडिया का उपयोग करते समय हम न केवल अपनी आदतों और व्यवहार को नियंत्रित रखें बल्कि यह भी जरूरी है की हम सोशल मीडिया का उपयोग करते समय कुछ बातो का ध्यान भी रखें. जैसे जब आप कोई जोक या कोई और मेसेज फॉरवर्ड कर रहे हो तो यह याद रखिये कि आपके द्वारा भेजे गए सन्देश या पोस्ट आपकी इमेज निर्धारित करते हैं. सन्देश की भाषा और कंटेंट आपके व्यक्तित्व को परिभाषित करते हैं. इस लिए कॉपी पेस्ट करने से बेहतर है कि आप अपने मौलिक सन्देश तैयार कर भेजें. साथ ही यदि कोई जोक या मेसेज आप फॉरवर्ड कर रहे है तो पहले यह अच्छी तरह से समझ लें वह किस तरह का मेसेज है और उसे किसे भेजना ठीक होगा किसे नहीं. इससे आपके सम्बन्ध भी खराब नहीं होंगे और न ही आपको अनावश्यक रूप से लोगो से माफ़ी मांगने की ज़रुरत होगी. कुछ लोगो को देर रात तक सोशल मीडिया में लोगो को सन्देश भेजने या गुड नाईट आदि लिखने की आदत हो जाती है. यह भी ठीक नहीं है. समय सीमा का ध्यान रखना जरूरी है ताकि किसी को असुविधा न हो. किसी की पोस्ट आपको पसंद न आये या आपके विचारो के विपरीत हो तो प्रतिक्रिया बहुत संतुलित होना चाहिए. कुछ लोग अनर्गल टिप्पणियां और अपशब्दों का भी प्रयोग करते हैं जो बिलकुल उचित नहीं है. शालीन तरीके से भी अपने विचार व्यक्त किये जा सकते हैं.
ग्रुप में आपत्तिजनक कंटेंट या चित्र नहीं डालने चाहिए क्योकि ग्रुप में महिलाएं एवं अन्य सदस्यों के सम्मान का भी ध्यान रखा जाना चाहिए. आपकी पोस्ट या विचार प्रस्तुत करने पर यदि कोई उससे सहमत न हो तो उसे सहमत करने का प्रयास न करें. हर व्यक्ति का अपना नजरिया है और उसे अपनी बात रखने का अधिकार है. समझदारी दिखाएँ और उनसे अनावश्यक विवाद कर सम्बन्ध खराब न करें. दूसरो को सम्मान दें ताकी आपका सम्मान भी बरकरार रह सके. अपने राजनैतिक और धार्मिक विश्वासों और मूल्यों को लोगो पर थोपने का प्रयास न करें. जो सन्देश प्रमाणित न लगें, विवादास्पद, संदेहास्पद हों उन्हें बिना जांचे परखे फॉरवर्ड करने से बचना चाहिए. व्यक्तिगत जीवन की जानकारियों को भी एक हद तक ही शेयर करें ताकि कोई अपराधी इन जानकारियों का दुरूपयोग न कर सके. यदि संस्था स्तर पर कोई आधिकारिक ग्रुप बनाया गया है तो उसमे भी सतर्कता बरतें. केवल आवश्यक संवाद तक ही उसे सीमित रखें. यदि गलती से कभी कोई अन्य सामग्री पोस्ट या फॉरवर्ड हो जाये तो उसके लिए विनम्रता से क्षमा मांग लें, और हो सके तो उसे डिलीट भी कर दें. हाँ सबसे बड़ी बात, जो मज़ा और आत्मीयता अपनों के साथ बैठकर चाय पीने और बात करने में है वो सोशल मीडिया में कहाँ. जब भी मौका मिले परिवार और मित्रो के साथ अच्छा वक़्त बिताएं. वर्चुअल दुनिया से रियल दुनिया ज्यादा खूबसूरत है. इसलिए सोशल मीडिया के माया जाल में न उलझें. सोशल मीडिया कहीं आपको अनसोशल न कर दे. शुभकामनाओ सहित …