युगधर्म की मांग – मानवता
( मनीषा शाह )
आज जो परिस्थिति हमारे सामने आन पड़ी है जो शत्रु यानि कोरोना नामक महामारी से युद्ध लड़ रहे हैं। इस प्रकार के युद्ध की परिकल्पना आज से ही नहीं परंतु आदिकाल से चली आ रही है बस फर्क यह है कि शत्रु ने अपना वेश बदल दिया है और युद्ध करने के तरीकों में बदलाव आ गया है अंततः एक यथार्थ है जो आज भी नहीं बदला
“” मानवता की रक्षा “”
त्रेता युग में जब श्री राम ने बाली को बाण मारा था तो उसने मृत्यु शैया पर अपने पुत्र अंगद को समझाते हुए का कहा था देश काल और परिस्थितियों को समझो किसके साथ कब कैसा व्यवहार होना उसका निर्णय करें बिना पसंद ना पसंद का ध्यान रखते हुए इसका उदाहरण आप देख सकते हैं जब हमारे देश के प्रधानमंत्री जी ने C40 मीटिंग मे शामिल होने के लिए दलगत राजनीति को एक तरफ रखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री से कहां जो इस विकट समय में एक अच्छा कदम है
द्वापर युग में भी भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश देते हुए महत्वपूर्ण बात कही
“”न हि कश्चत्क्षणमपि जातु तिव्ठत्यकर्मकृत
कार्यते द्वावशः कर्म सर्वः प्रकृतिजैर्गुणैः “” इसका अर्थ है कि हर इंसान के लिए कोई ना कोई काम नियत है जो कि वह करने के लिए बाध्य है इसी प्रकार जब ऐसा शत्रु जो महामारी के रूप में हमारे सामने खड़ा हुआ है तो इसे सिर्फ व्यक्तिगत ,सामाजिक, राजनीतिक ,धार्मिक ,राष्ट्रीय परिवेश में ना बांधते हुए वैश्विक परिवेश में युद्ध स्तर पर खड़ा खड़ा होना होगा वसुधैव कुटुंबकम की भावना का निर्वाह करते हुए
Nice lines by Helen Keller which fits relevant in this context – Alone we can do so little,together we can do so much.
अब यह सब की जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने कार्य का निर्धारण कर ले ताकि इस महामारी को हराया जा सके व्यक्तिगत रूप में हमारा कर्म कहता है कि lockdown का सम्मान किया जाए अगर आप एक सक्षम परिवार से ताल्लुक रखते हैं तो हर संभव प्रयास किए जाएं की हाशिए पर रह रहे लोगों की तरफ मदद का हाथ बढ़ाया जाए और उन्हें इस बीमारी के बारे में शिक्षित किया जाए एवं जागरूक किया जाए क्योंकि कहीं ना कहीं हम भी उन पर आश्रित है चाहे वह दिहाड़ी मजदूर हो या ट्रक ड्राइवर आदि
हालांकि हम जानते हैं कि हमने सुरक्षा कदम उठाने में परिस्थिति की गंभीरता को समझने में कुछ देर कर दी विश्व की बड़ी बड़ी शक्तियां जो इस कोरोना वायरस नामक विकराल शत्रु से लड़ने में असमर्थ दिखाई दी चाहे वह इटली, अमेरिका यह जर्मनी ही क्यों ना हो परंतु इस बात से हम हतोत्साहित तो नहीं हो सकते बल्कि सबक ले सकते हैं
क्योंकि हम उस महान देश के वासी हैं जहां त्रेता में श्री राम और द्वापर में श्री कृष्ण जैसे अवतारों ने जन्म लिया और रावण तथा कंस जैसे शक्तिशाली राक्षसों का नाश किया इस युग में सूर्यवंशी राजवंश के सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य जिन्होंने विश्व विजय पर निकले सिकंदर को पराजित किया या महात्मा गांधी जिन्होंने अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन का रास्ता दिखाकर पूरे विश्व को प्रभावित किया पंचशील के सिद्धांत के जनक प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आधुनिक भारत की नींव रखी
स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल एवं स्वतंत्र भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी अपने कठोर एवं निर्णायक फैसलों के लिए पहचाने जाते हैं
डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जिन्होंने समाज मैं हाशिए पर रह रहे लोगों को शिक्षा के माध्यम से नई आस जगाई डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक कुशल राजनेता एवं शिक्षाविद के रूप में ना केवल अपनी पहचान बनाई परंतु जनसंघ के रूप में एक राष्ट्रवादी पार्टी की नींव रखी राजीव गांधी ने 21वीं सदी की चुनौतियों को भांपते हुए संचार क्रांति एवं सुपर कंप्यूटर भारत को दिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई विपरीत परिस्थितियों में सबको साथ लेते हुए समन्वित राजनीति के प्रतीक बने विपक्ष में रहते हुए भी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यूएनओ में देश का पक्ष रखने के लिए उन्हें उचित पात्र समझा हमे अपने देश के महान पुरुषों से प्रेरणा लेते हुए मानवता के सामने खड़ी हुई इस चुनौती से किस प्रकार मुकाबला करें सीख लेनी चाहिए तो अब क्या सोचना
“” उठो पार्थ गांडीव संभालो”” के उद्घोष के साथ इस महामारी पर विजय प्राप्त करने के लिए खड़े हो जाओ
इस विकट परिस्थिति में सीहोर के ही अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि पंकज पुरोहित” सुबीर “की यह पंक्तियां लड़ने का हौसला देती है
हे दुश्मन ताकतवर बहुत, सुना है शातिर भी, लेकिन लड़ना तो है फिर भी, हम एक हैं या गूंजे नारा,
संग में भी हूं तुम भी हो, हम जीतेंगे, हां हम ही जीतेंगे
Concluding with: standby each other and lead the path to defeat this for with proper planning,leadership and learning as these are indispensable to each other