कोरोना का कमाल..नहीं खिल पाया कमल
( शैलेश तिवारी )
मध्य प्रदेश में पिछले एक पखवाड़े से चल रहे हाई वोल्टेज सियासी ड्रामे का आखिरी सीन अभी आँखों के आगे आना बाकी है। हाल फिलहाल भाजपा की उम्मीदें कोरोना वायरस टाल दी हैं.। भाजपा ने सत्ता की चाबी पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली है। जहाँ मंगलवार को सुनवाई होगी।
सिंधिया की बगावत के बाद उनके समर्थक विधायकों के इस्तीफे के बाद कमल नाथ सरकार पहली नजर में अल्पमत में नजर आती है। भाजपा ने इसी बिन्दु के मद्देनजर फ्लोर टेस्ट की मांग राज्यपाल से की। 14 मार्च को राज्यपाल ने ऐसा आदेश भी जारी किया लेकिन विधान सभा की कार्रवाई में फ्लोर टेस्ट शामिल नही रहा। पल पल बदलते घटना क्रम में विस स्पीकर ने छः विधायकों का इस्तीफा तो मंजूर कर लिया लेकिन सिंधिया खेमे के सोलह पर फैसला नही किया गया। कहा या गया कि उनको विस में उपस्थित होकर अपने इस्तीफे की पुष्टि करना होगी। जब तक पुष्टि नहीं होती तब तक कांग्रेस सरकार 115 की संख्या का समर्थन दिखा रही है।
आज सोमवार को विस सत्र शुरू होने के बाद राज्यपाल ने अपना अभिभाषण मात्र एक मिनट में ही समाप्त किया। इसके बाद कोरोना वाइरस का सहारा लेकर विधानसभा 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई। उधर भाजपा ने इस फैसले पर अपना विरोध जताते हुए फ्लोर टेस्ट किए जाने की मांग की।
भाजपा के नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और याचिका दायर की है कि कमलनाथ सरकार को बहुमत सिद्ध करने के आदेश दिए जाएं। याचिका पर सुनवाई मंगलवार 17 मार्च को होना है। वहीं कांग्रेस की तरफ से भी याचिका सुप्रीम कोर्ट में लगाई जा सकती है। पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ 106 विधायक राज्यपाल लालाजी टडंन के समक्ष पेश हुए और बीजेपी का समर्थन की बात कही है। बीजेपी नेताओं ने राज्यपाल को 107 विधायकों के समर्थन का पत्र सौपा है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राज्यपाल के आदेश का उल्लघंन किया है। कांग्रेस अब रणछोड दास हो गई है। बीजेपी के पास बहुमत है। ऊँट किस करवट बैठेगा… या दृश्य देखने के लिए…. हाल फिल्हाल इंतजार ही है……।