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जीत जाएंगे कोरोना से जंग…..

शैलेश तिवारी

कोविड 19…आम बोलचाल वाला कोरोना .. एक बार फिर लौट आया है … अपनी बढ़ी हुई ताकत … और फैलाव की दोगुनी रफ्तार के साथ…। इससे लड़ने और जंग जीत लेने के मनसूबे में … पूरा एक साल निकल गया… विज्ञान और खासकर चिकित्सा विज्ञान के लिए गंभीर चुनोती बना हुआ यह कोरोना… मानव के शरीर पर जितना गंभीर आक्रमण करने में सक्षम और समर्थ है…. शायद उससे कहीं ज्यादा मानसिक रूप से रोगी बना देने में….। शरीर में कोरोना के प्रवेश से लड़ाई लड़ने में चिकित्सा विज्ञान अपनी कारगर भूमिका निभा रहा है…. लेकिन मानसिक लड़ाई में कोरोना अजेय सा  प्रतीत हो रहा है….। मानवीय स्वभाव है डर से प्रेम करने का… तभी तो तमाम हॉरर मूवी … टिकट खिड़की पर खासी कमाई कर पाती हैं…। इस डर के आगे की जीत की डगर पर जब हम चल पाएंगे…. तभी सम्भव होगा .. कोरोना पर मानसिक जीत का आगाज….। जिस्म पर उसके आक्रमण को विफल करने का … आंकड़ा है इसके सौ रोगियों में से एक की मौत होना….(बाकी 99 का स्वस्थ हो जाना) उसकी वजह भी ज्यादातर मृतकों का किसी अन्य गंभीर बीमारी से पहले से ही ग्रसित होना….।आइए चलते हैं… कोरोना से जंग के उस रणनीतिक सफर पर… जहां कोरोना को मानवीय प्रयास न केवल बौना साबित कर सकें… बल्कि एक बार फिर यह प्रमाणित कर पाएं कि.. मानव परमेश्वर की इस संसार में सर्वोत्तम कृति है…. उससे श्रेष्ठ कोई नहीं..। इतिहास गवाह है…  पूर्व काल में ऐसी अनेकानेक महामारियों के फैलाव के बावजूद … मनुष्य की जयगाथा का….। उन चुनोतियों का सामना हमारे पूर्वजो ने किया…. और अपनी विजय पताका उस महामारी पर फहरा कर हमारे लिए मिसाल कायम कर गए… वह भी वक्त के उस दौर में जब मेडिकल साइंस इतना उन्नत और विकसित नहीं हुआ करता था….। इसी वजह से उस दौरान महामारी से मरने वालों की संख्या भयावह हुआ करती थी।

आज उनकी उसी मिसाल को मशाल बनाने का समय आ गया है। जो पुकार कर महामारी से लड़ने के पुराने तरीकों को नए तरीकों से मेल कराने का आग्रह कर रहा है। सीधे शब्दों में कहें तो आध्यात्म और विज्ञान के मिलन की वह बेला हमारे प्रयासों का इंतजार कर रही है … जहां अध्यात्म के प्रतिनिधि बुद्ध … और विज्ञान के प्रतिनिधि आइंस्टीन जैसे महामना… एक ही मंच पर नजर आने लगें…। पहले जान लेते हैं कि हम किन किन से मिलकर बने हैं… वो तीन प्रमुख हैं… शरीर, मन और आत्मा…। इसमें से शरीर पर होने वाले कोरोना के आक्रमण का मुक़ाबला करने के लिए हमारे युग का चिकित्सा विज्ञान पूर्ण सक्षम है। लेकिन मन के कोरोना से संक्रमित हो जाने की दशा में चिकित्सा विज्ञान पूर्ण समर्थ नहीं है। आत्मिक कोरोना संक्रमण की बात तो आज के युग में शायद अजूबा लगे लेकिन आत्मिक संक्रमण की दशा में हमारा संकल्प और जीवन जीने की इच्छा शक्ति बहुत कमजोर पड़ जाती है….। यहां से शुरू करते हैं असली तैयारी जो न केवल कोरोना वरन अन्य बीमारियों को हराने में भी रामबाण साबित होती आई है। शरीर को स्वस्थ और चुस्त दुरुस्त बनाए रखने के लिए इन  क्रियाओं पर सूक्ष्म दृष्टि बनाये रखने की आवश्यकता है…। वो हैं व्यायाम, शौच, आहार और निद्रा…। इन तीनों का उचित प्रकार संतुलन बनाये रखना कोरोना को मात देने में शक्तिशाली सिद्ध रहता है। व्यायाम यानि सुबह की सैर, योगासन, जिम, सायकलिंग , स्विमिंग या अन्य किसी प्रणाली से शारीरिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। दूसरा शरीर की शुद्धि यानि आंतरिक और बाह्य दोनों प्रकार के शौच अपनाएं जाएं। अगले क्रम पर है आहार यानि आप को खाना क्या है और आप खा क्या रहे हैं ? इस ओर ध्यान देना चाहिए, जिसके बारे में लगातार गाइड लाइन जारी होती रहती है। अब बात करते हैं मन की…. मन एक अवस्था का नाम है जिसको अंग्रेजी में माइंड कहते हैं। मन में जिस तरह के विचार एकत्रित होंगे वैसी प्रतिक्रिया हमारा शरीर देने लगता है। सीधे तौर पर कहें तो जैसा होगा मन वैसे होंगे विचार।

मन का भोजन भी विचार ही हैं… जिन्हें वह खाता है सांस के द्वारा और सांस को नियंत्रित करने की एक पद्धति है प्राणायाम। जो रेचक , पूरक और कुंभक तीन प्रमुख प्रकार का होता है । बाकी प्रणव, भस्त्रिका, कपालभांति, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उज्जाई आदि अनेकानेक प्राणायाम के प्रचलित तरीके हैं । इनका नियमित अभ्यास आपकी मानसिक सेहत को बनाये रखने का कारगर तरीका है। हां मन को कोरोना के संक्रमण से बचाए रखने के लिए आपको इसके एहतियात जरूर पालने चाहिए लेकिन इसके फैलाव सम्बन्धी सूचनाओं पर ध्यान नही देना चाहिए जो आपको मीडिया के द्वारा परोसी जा रही हैं। और न ही इसकी चर्चा में रुचिवान होकर सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए। कोरोना के आत्मिक संक्रमण से बचने के लिए आपको अपने इष्ट की प्रार्थना निरंतर करना होगी और कुछ समय आपको ध्यान यानि मेडिटेशन भी करना होगा । जो आपको बाहरी दुनिया से काटकर अंदर की दुनिया की सैर कराता है। जिसकी वजह से आपकी संकल्पशक्ति दृढ़ होती है। 

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