कोरोना काल : घर में राशन भी जुटाना है और इलाज भी कराना है
—सरकार संसाधन जुटाकर सुधारेंगे अस्पतालों की सेहत
—दोहरी मार से जूझ रहा है मध्यम वर्ग
जोरावर सिंह
मध्यप्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपाया, इस दौरान अस्पतालों में बद इंतजामिया, संसाधनों की कमी का खािमयाजा कोरोना के मरीज और उनके परिजनों ने उठाया, यह किसी से छुपा हुआ नहीं है, लेकिन प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर में इस तरह की स्थिति नहीं बने, इसलिए प्रदेश के अस्पतालों की सेहत सुधारने की कवायद श्ाुरु हो गई, यदि यह पहल जमीनी धरातल पर उतरती है, तो उपचार की सुविधाओं में इजाफा होगा। मगर इस समय सबसे अिधक परेशानी मध्यमवर्गीय परिवारों को उठाना पड रही है।
प्रदेश में कोरोना के कारण से हो रही मौतों के कारण एवं अस्पतालों की हालत, बद इंतजामी के कारण से सरकार इस समय विपक्ष के निशाने पर है, आमजन में नाराजगी देखी जा रही है। दूसरी तरफ कोरोना की दूसरी लहर ने जो नुकसान पहुंचाया है, वह तो सामने है, अस्पतालों की कमी, स्वास्थ्य संसाधनों की कमी का खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत चुकी है। मगर कोरोना की तीसरी लहर अंकुश में रहे, इसके इंतजाम सरकार द्वारा िकए जा रहे है। जिसका लाभ कोरोना के मरीजों को िमल सकेगा, जिस तरह से कोरोना की दूसरी लहर के दौरान परेशानियों का सामना करना पडा, वह तीसरे दौर में नहीं करना पडे। मगर इस समय मध्यम वर्ग दोहरी मार से जूझ रहा है।
—प्रदेश सरकार द्वारा उठाये गए कदम
प्रदेश में सरकार द्वारा कदम उठाये जा रहे है, प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने प्रदेश के 13 शासकीय मेडिकल कॉलेज एवं उनके कोविड अस्पतालों के चिकित्सकों एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के साथ मंथन एवं विमर्श कर कोरोना की तीसरी लहर की रोकथाम एवं उपचार के विभिन्न आयामों पर चर्चा की। प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 360 बिस्तर के बच्चों के आईसीयू की व्यवस्था की जा रही है। इसी कड़ी में भोपाल के हमीदिया अस्पताल में 50 बिस्तर का बच्चों का आईसीयू तैयार किया जाएगा।प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 1000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर स्थापित किए जाएंगे। 850 ऑक्सीजन बेड को सेंट्रल ऑक्सीजन सप्लाई से पृथक करते हुए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के माध्यम से संचालित किया जाएगा। प्रथम चरण में 1267 बेड की होगी वृद्धि जिसमें 767 होंगे आईसीयू बेड होंगे।
—यह लोग कहां जाएं
मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की हालत ठीक नहीं है, निजी अस्पतालों पर ज्यादा निर्भरता बनी हुई है, इसे देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कोरोना के मरीज जो कि आयुष्मान कार्ड धारी है, वह इसका लाभ ले सकेंगे, लेकिन बडा सवाल यह भी है कि मध्यमवर्गीय परिवार जिसके पास आयुष्मान कार्ड नहीं है, और परिवार में एक से दाे लोग कोरोना से पीडित हो गए है, आर्थिक संकट है, वह पैसे कहां से लाएंगे, ऐसे परिवारों के सामने दोहरा संकट खडा हुआ है। कि वह उपचार कराएं और कामकाज बंद होने पर घर का भर पोषण कैसे करें।
—झेल रहे है दोहरी मार
प्रदेश में कोरोना के हालात बेकाबू होने के बाद से लाकडाउन लगा हुआ है, बीते एक सप्ताह से तो लॉकडाउन में सख्ती की गई है, इस कारण से छोटे छोटे कारोबार कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाला मध्यम वर्ग, इस समय दोहरी मार झेल रहा है, कई परिवार ऐसे है, जिनका कारोबार इस समय बंद है और घर में कोरोना के चपेट में भी आ गए है, वह निजी अस्पतालों में उपचार कराने के लिए भारी भरकम रकम चुकाना पड रही है, और सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही है, निजी अस्पताल इस समय किस तरह से लूट रहे है। इसके उदाहरण तो सामने है।
—अब यह भी चर्चाओं में
कोरोना के संकट से इस समय पूरा देश जूझ रहा है, मध्यप्रदेश भी इससे अछूता नहीं है, प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना संकट को काबू में करने की जिम्मेदारी प्रदेश के चिकित्सा मंत्री विश्वास सारंग संभाल रहे हैं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उन पर भरोसा जताया है, वहीं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डा प्रभुराम चौधरी फ्रंट पर नजर नहीं आ रहे है, यह सवाल सोशल मीडिया पर तो वहीं सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन रहे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डा प्रभुराम चौधरी कांग्रेस छोडकर भाजपा में शामिल हुए थे, इसलिए भी कई सवाल खडे हो रहे हैं।