मेघालय में BJP के समर्थन से कॉनरैड संगमा बना रहे हैं सरकार, शपथ से पहले आई ये चुनौती
अगरतला: रविवार को मेघालय के राजभवन से मुख्यमंत्री के रूप में मंगलवार सुबह शपथग्रहण का न्योता मिलने के कुछ ही देर बाद कॉनरैड संगमा ने कबूल कर लिया कि गठबंधन सरकार को चलाना आसान काम नहीं होगा.
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NDTV से बात करते हुए कॉनरैड ने कहा था, “यह कभी आसान नहीं होता…”, लेकिन उम्मीद भी जताई थी कि उनकी नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) के नेतृत्व वाला पांच पार्टियों का गठबंधन उम्मीदों पर खरा उतर पाएगा, लेकिन भूतपूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के 40-वर्षीय पुत्र कॉनरैड को इस बात का अंदाज़ा भी नहीं था कि उनके लिए पहली चुनौती इतनी जल्दी सामने आएगी.
अगले ही दिन गठबंधन के सहयोगियों में से एक हिल स्टेट पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (HSPDP) ने कॉनरैड संगमा के शपथग्रहण समारोह के बहिष्कार की धमकी दे डाली, जिसमें BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के भी शिरकत करने की संभावना है. सोमवार को HSPDP अध्यक्ष आरडेंट बसाइयावमोइत ने मौजूदा समय में लोकसभा सदस्य कॉनरैड संगमा को गठबंधन के सहयोगियों से विचार-विमर्श किए बिना मुख्यमंत्री के रूप में चुने जाने को लेकर भी आपत्ति जताई.
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विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर जीत हासिल करने वाली NPP के नेता कॉनरैड संगमा के पास एक निर्दलीय विधायक सैमुअल संगमा के अलावा यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (UDP) के छह, पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (PDF) के चार, तथा HSPDP व BJP के दो-दो विधायकों का समर्थन है.
आरडेंट बसाइयावमोइत ने कहा कि BJP को गठबंधन का हिस्सा बनाने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि मेघालय के क्षेत्रीय दलों के पास ही अपने बूते सरकार बना लेने लायक संख्याबल मौजूद था.
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, HSPDP अध्यक्ष का कहना था, “चुनाव से पहले से ही हमारा रुख रहा है कि गैर-कांग्रेस गैर-BJP सरकार बनाई जाए… हमें दिख रहा है कि ऐसी संभावना मौजूद है, जब NPP-नीत गठबंधन 32 विधायकों के साथ इस तरह की सरकार आसानी से बना सकता है…”
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उन्होंने कॉनरैड संगमा को राज्य का अगला मुख्यमंत्री चुने जाने पर भी सवाल खड़े किए, जबकि NPP ने खुद ही एक अन्य नेता प्रेस्टोन टिनसॉन्ग को संभावित मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया था.
बाद में आरडेंट बसाइयावमोइत ने अपनी पार्टी के नेताओं के साथ UDP अध्यक्ष डॉ डॉनकूपर रॉय के आवास पर जाकर UDP के उस प्रस्ताव को लेकर ‘निराशा तथा असहमति’ व्यक्त की, जिसमें कॉनरैड संगमा को मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात कही गई है.
उन्होंने कहा, “यह फैसला UDP द्वारा एकतरफा तरीके से लिया गया, और हमसे कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया… सरकार का नेतृत्व कौन करेगा, यह फैसला करना गठबंधन का काम है…”
शनिवार को हुई मतगणना के बाद 21 सीटों के साथ कांग्रेस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई थी, लेकिन उनकी प्रभावी संख्या 20 ही रह जाने वाली है, क्योंकि उनके मुख्यमंत्री मुकुल संगमा दो सीटों से चुनाव जीत गए हैं. इसके अलावा राज्य में एक सीट पर एक प्रत्याशी की मृत्यु के कारण मतदान रद्द कर दिया गया था, इसलिए इस वक्त कॉनरैड संगमा को सरकार बनाने के लिए सिर्फ 30 विधायकों के समर्थन की ज़रूरत है, और उनके गठबंधन के पास 34 विधायकों का समर्थन मौजूद है.