मप्र में कांग्रेस के ज्योतिरादित्य 1 लाख 25 हजार और दिग्विजय सिंह तीन लाख से चुनाव हारे
मप्र। विधानसभा चुनाव में मामूली अंतर से मिली जीत से अतिउत्साह में बिगडें प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के दिमाग गुरूवार को ठिकाने लग गए। यहां भोपाल सीट से कांग्रेस के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह बीजेपी की उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर से करीब तीन लाख मतों से हार गए। वहीं गुना सीट से कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के प्रत्याशी कृष्णपाल सिंह यादव से करीब एक लाख 25 हजार वोट से हार गए है। वहीं पूर्व सीएम अर्जन सिंह के पुत्र अजय सिंह, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरूण यादव,मिनाक्षी नटराजन,कांतिलाल भूरिया, पंकज संघवी सहित कई बडे नेता चुनाव एक लाख से अधिक वोट से हारे है।
भोपाल सीट से चुनाव हारे पूर्व सीएम कांग्रेस के पूर्व राष्टीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने चुनाव का गणित समझने में चुक कर दी। कांग्रेस भोपाल सीट पर मोदी की सुनाम को समझ नहीं पाई और धोखा खा गई। कांग्रेस इस सीट पर मुसलमान और इसाई वोटो के भारोसे अधिक रही जिससे हिन्दु मतदाता बीजेपी के करीब जाता रहा है। सबसे अधिक नुकसान मुस्लिम नेताओं ने ही किया है। उन्होंने हवा को समझते हुए भी अपनी बोली को संयम में नहीं रखा और इसी का फायदा बीजेपी और आरएसएस ने उठाया। आरएसएस ने युवा और महिला वोटरों को टारगेट किया उनके हिसाब से प्रचार की रणनीति बनाई। उसी प्रचार का नतीजा है कि दिग्विजय सिंह तीन लाख वाटो से हारे है।
गुना सीट पर कांग्रेस को अतिआत्मविश्वास ले डूबा,इस सीट को कांग्रेस पहले दिन से जीती हुईं मान रही थी जबकि यहां ज्योतिरादित्य सिंधिया का खोमोश विरोध था,इसके अलावा मोदी लहर ने तो काम किया है। इस सीट पर बीजेपी के केपी सिंह ने अपनी मजबूत पकड सबित कर दिया है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया 2002 में पहली बार पिता की परंपरागत गुना संसदीय सीट से चुनाव जीते। 2004 के लोकसभा चुनाव में दोबारा इसी सीट से बने सांसद। यूपीए-1 की मनमोहन सरकार में पहली बार 2007 में केंद्रीय राज्य मंत्री बने। यूपीए-2 की मनमोहन सरकार में भी 2012 में मंत्री बने। साल 2014 में गुना से चुनाव जीते।