कांग्रेस नेता हर्दिक पटेल लोकसभा चुनाव 2019 का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे !
— सुप्रीम कोर्ट ने जल्दी सुनावई से किया इंकार
गुजरात। कांग्रेस नेता हर्दिक पटेल के चुनाव नहीं लड़ने के मामले में सुप्रीम कार्ट ने जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया। जिससे हर्दिक पटेल का लोकसभा चुनाव 2019 में मैदान में उम्मीदवार के रूप में उतरना मुमकिन नहीं है। हर्दिक पटेल को अब कांग्रेस के अन्य उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार कर ही कांग्रेस का सहयोग करना होगा।
जानकारी के अनुसार कांग्रेस नेता हर्दिक पटेल ने गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपने वकील के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की थी,जिसमें जल्द सुनवाई करने की गुहार लगाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई करने से इंकार करते हुए कहा कि इसमें तत्काल सुनवाई जैसा कुछ नहीं है। यदि सुप्रीम कोर्ट ने नमांकन की आखिरी तारीख 4 अप्रैल 2019 से पहले हर्दिक पटेल की याचिका पर सुनावई नहीं की और गुजरात हाईकोर्ट के निर्णय पर रोक नहीं लगाई तो फिर यह तय है कि हर्दिक पटेल चुनाव नहीं लड पाएंगे।
गुजरात हाई कोर्ट ने 2015 में हुए उपद्रव के मामले में 29 मार्च को हार्दिक पटेल की याचिका को ख़ारिज कर दिया था जिसमें मेहसाणा में 2015 के दंगा उपद्रव मामले में उनकी दोषसिद्धि को निलंबित करने की अपील की गई थी। दंगा भड़काने के आरोप में साल 2018 में निचली कोर्ट ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को दोषी ठहराते हुए दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। अगस्त 2018 में हाई कोर्ट ने उनकी दो साल की सजा तो निलंबित कर दी थी, लेकिन दोष से मुक्त नहीं किया था। इस कारण हर्दिक पटेल जनप्रतिनिधि अधिनियम के तहत चुनाव लडने में अयोग्य हो गए। ममला तक का जब हर्दिक पटेल की अगुवाई में पाटीदारों ने आंदोलन किया था। इस दौरान 23 जुलाई 2015 हिंसा आगजनी हुई थी जिसे पुलिस ने दंगे करार दिया और हर्दिक पर केस दर्ज कोर्ट में पेश कि जहां कोर्ट ने पटेल को दो साल की सजा सुनाई थी।
याचिका में पटेल ने कहा…
सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका में हर्दिक पटेल ने कहा कि जिस तरह 2007 में कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू के ममाले में निर्णय दिया था ठीक उसी प्रकार उनके ममाले में निर्णय दिया जा सकता है। यचिका में उस समय सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी का उल्लेख किया गया कि कोर्ट ने कहा था कि कोर्ट को यह ध्यान देना चाहिए कि इस तरह से ममालो से आरोपी पर क्या असर होगा। उसकी सजा से उसका जीवन ही बर्बाद न हो जाए जिसमे किर कभी सुधार नहीं किया जा सकता हो। हर्दिक ने इसी आधार पर उन्हें भी राहत देने की गुहार सुप्रीम कोर्ट से लगाई है।