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पंजाब की नाकामी पर अपनों ने ही कांग्रेस हाईकमान को घेरा, जी 23 ने पार्टी नेतृत्व से किए तीखे सवाल

नई दिल्ली। पंजाब में सिद्धू की सियासत को भांपने में पार्टी हाईकमान की नाकामी ने कांग्रेस के शीर्ष संगठन में घमासान को फिर से हवा दे दी है। कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के समूह जी 23 ने इस नाकामी को लेकर सीधे-सीधे नेतृत्व को घेरते हुए कहा है कि पार्टी में जब कोई चुना हुआ अध्यक्ष नहीं है तो फैसले कौन ले रहा है यह मालूम ही नहीं चल रहा। जी 23 के वरिष्ठ सदस्य पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि लोग पार्टी छोड़ रहे हैं और कांग्रेस की चिंताजनक हालत सुधारने के लिए संवाद का रास्ता तक नहीं खोला जा रहा।

सिब्बल ने कहा, हम जी हुजर 23 नहीं

हाईकमान पर सीधे-सीधे निशाना साधते हुए सिब्बल ने कहा कि हम जी हुजूर 23 नहीं हैं। हम कांग्रेस को मौजूदा चुनौती से उबारने तक चुप नहीं रहेंगे। वहीं जी 23 की अगुआई कर रहे वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को फिर से पत्र लिखकर कार्यसमिति की बैठक बुलाने और कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कराने की मांग उठाई है। आजाद के पत्र लिखने की पुष्टि करते हुए सिब्बल ने भी खुले तौर पर अध्यक्ष का चुनाव जल्द कराए जाने की मांग की। नवजोत सिंह सिद्धू के नखरों के लिए कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे पुराने भरोसेमंद दिग्गज को बेगाना किये जाने से खफा जी 23 ने शीर्ष नेतृत्व पर खुला हमला बोला है।

गुलाम नबी ने असंतुष्टों की ओर से सोनिया को फिर लिखा पत्र

कपिल सिब्बल ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हम कांग्रेस को मजबूत करने लिए अपनी बात रखते रहेंगे। हमारा मानना है कि कांग्रेस ही अकेली पार्टी है जो देश के लोकतंत्र को बचा सकती है। उन्होंने कहा कार्यसमिति की बैठक जल्द बुलाकर कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कराया जाना चाहिए। सिब्बल ने आजाद की ओर से इस बारे में सोनिया गांधी को एक और नया पत्र भेजे जाने की पुष्टि करते हुए कहा कि वे उन नेताओं की तरफ से बोल रहे हैं, जिन्होंने पिछले साल अगस्त में कांग्रेस कार्यसमिति और केंद्रीय चुनाव समिति के साथ कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए पत्र लिखा था। हमें अभी तक इस पर फैसले का ही इंतजार है और इस प्रतीक्षा की भी एक सीमा है।

पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं, फैसले कौन ले रहा पता नहीं : सिब्बल

पार्टी अध्यक्ष पद पर रहे बिना राहुल गांधी के प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ मिलकर बड़े सियासी फैसले करने पर परोक्ष सवाल उठाते हुए सिब्बल ने कहा कि कार्यसमिति में हर मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। हम पार्टी के साथ हैं लेकिन यह भी एक सच्चाई है कि हमारी पार्टी का कोई चुना हुआ अध्यक्ष नहीं है। फैसले कौन ले रहा यह मालूम ही नहीं पड़ रहा।

उन्होंने प्रदेश कांग्रेस को दिल्ली से नियंत्रित करने और चलाने को लेकर भी सवाल उठाए। हाईकमान के निकट लोगों के ही पार्टी छोड़ने पर तंज कसते हुए सिब्बल ने कहा कि हम वो नहीं हैं जो पार्टी छोड़ कहीं और चले जाए। विडंबना ये है कि जिन्हें केंद्रीय नेतृत्व का करीबी माना जाता था, वो लोग पार्टी छोड़ रहे हैं। मैं उन नेताओं से आग्रह करता हूं कि वापस आएं क्योंकि कांग्रेस ही अकेली पार्टी है जो देश को बचा सकती है।’

सिब्बल ने कहा कि पार्टी की मौजूदा हालत को देखते हुए वे बहुत भारी मन से इन बातों को उठा रहे हैं। कांग्रेस की जो मौजूदा स्थिति है, उसे हम चुपचाप नहीं देख सकते और आज पार्टी जिस हालत में है उसे वहां नहीं होना चाहिए था। पार्टी के बड़े फैसले चंद लोगों के मिलकर लेने पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि 20 लोग टेबल पर बैठकर न तो लोकतांत्रिक सत्ता चला सकते हैं और न ही पार्टी।

सिब्बल के इस मुखर हमले और गुलाम नबी आजाद के सोनिया गांधी के पत्र लिखने से साफ है कि पंजाब की ताजा खींचतान ने कांग्रेस के शीर्ष संगठन में नए घमासान का रास्ता खोल दिया है। जी 23 के एक अन्य सदस्य लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने भी पंजाब में राजनीतिक अस्थिरता के ताजा दौर को अवांछित बताते हुए परोक्ष रूप से सिद्धू पर दांव खेलने में नेतृत्व से हुई चूक की ओर साफ इशारा किया।

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