छत्तीसगढ़ में एक और आंखफोड़वा कांड, लापरवाही ने छीनी 37 लोगों की आंखों की रोशनी
राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ में मोतियाबंद ऑपरेशन के दौरान बड़ी लापरवाही सामने आई है। राजनांदगाव जिले में स्थित एक निजी अस्पताल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के दौरान तकरीबन 37 लोगों की रोशनी चली गई है।
निजी अस्पताल क्रिश्चियन फेलोशिप में मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया गया था। लेकिन ऑपरेशन में बरती गई लापरवाही के चलते तकरीबन 37 लोगों के आखों की रोशनी चली। बताया जा रहा है कि ऑपरेशन 24 फरवरी को किया गया था। प्रशासन पर मामले को दबाने का भी आरोप है।
कब थमेंगे मामले?
छत्तीसगढ़ में ‘आंखफोड़वा’ कांड का ये कोई पहला मामला नहीं है। इसके पहले कई जिलों में इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते ये मामले अब भी नहीं थम रहे। आपको बता दें कि साल 2016 में कांकेर जिले मोतियाबिंद के ऑपरेशन में बड़ी लापरवाही सामने आई थी। कांकेर में ऑपरेशन के बाद पांच लोगों की आंखो की रोशनी पूरी तरह से चली गई थी, जबकि 9 लोगों की रोशनी में कमी आई थी।
छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा आंखफोड़वा कांड बालोद जिले का है। जहां 22 सितंबर 2011 को हुए मोतियबिंद ऑपरेशन के दौरान सरकारी लापरवाही के चलते 48 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी। बिलासपुर के सरकंडा में नेत्र शिविर में हुए ऑपरेशन के बाद 7 लोगों की आंखें खराब हो गई थीं।
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ में गरीब परिवारों को मुफ्त इलाज के लिए राज्य शासन की ओर से स्मार्ट कार्ड दिए गए हैं, ताकि वो अपने परिवार के सदस्य के बीमार पड़ने पर बिना किसी चिंता के इलाज करवा सकें। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है।