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लालजी टंडन की राह में कुलपति चयन के कांटे

-कुलपति चयन : सोचा न था इस तरह गले की हड्डी बन जाएगा इन सब के लिए

 (कीर्ति राणा)

मप्र। प्रदेश ही नहीं देश के उच्च शिक्षा इतिहास में यह पहली बार हो रहा है कि धारा 52 के तहत बर्खास्त देअविवि कुलपति के स्थान पर एक महीने में भी नए कुलपति का चयन नहीं हो सका है। नए कुलपति का चयन न होना राजभवन, मप्र सरकार और इस मुद्दे को लेकर आंदोलन कर रहे-इन तीन के लिए एक तरह से गले में हड्डी फंसने जैसा हो गया है।अवकाश पर चल रहीं राज्यपाल यदि जाते-जाते भी कुलपति का नाम फायनल नहीं करती हैं तो एक तरह से नए राज्यपाल-कुलाधिपति की राह में कुलपति चयन के कांटें बिछाने जैसा काम हो जाएगा।
सीईटी एग्जाम में घोर अव्यवस्था के चलते कुलपति डॉ एनके धाकड़ को राज्य सरकार ने विवि अधिनियम की धारा 52 के तहत तुरंत बर्खास्त तो कर दिया था लेकिन यह भरोसा किसी को नहीं था कि नए कुलपति के चयन में अहं का टकराव ऐसा रूप लेगा कि एक महीने बाद भी इस पद के लिए चयन पर सहमति नहीं बनेगी।’किसी को भी वीसी बना दो’ की मांग को लेकर नौ दिन से अनशन करने के बाद 24जुलाई से जल त्याग करने वाले पूर्व कार्यपरिषद सदस्य अजय चौरड़िया ने भी सपने में नहीं सोचा था कि अधेड़ उम्र में छात्र राजनीति का यह कदम ऐसा भारी पड़ेगा। विवि की राजनीति करने वालों से लेकर उच्चशिक्षा विभाग तक को यह भरोसा था कि 17 जुलाई तक किसी के नाम की घोषणा तो हो ही जाएगी। इसी भरोसे पर चौरड़िया ने भी आंदोलन की घोषणा कर दी थी लेकिन हुआ सब की उम्मीद के खिलाफ अवकाश पर गईं राज्यपाल आनंदी बेन को यूपी की और मप्र की कमान लालजी टंडन को सौंपने की घोषणा हो गई।अब जब तक वे अपना कार्यभार नहीं सौंपती तब तक टंडन शपथ नहीं ले सकते। हालांकि संभावना यह व्यक्त की जा रही है कि सारे समीकरण ठीक बैठ गए तो आनंदीबेन पटेल जाते जाते जसवंतसिंह ठाकुर के नाम वाली फाईल पर दस्तखत कर सकती हैं, ऐसा नहीं होने की स्थिति में नवागत कुलाधिपति-राज्यपाल लालजी टंडन को पहली चुनौती इंदौर से ही मिलेगी देअविवि के लिए सुयोग्य कुलपति पदस्थ करने के रूप में।

-दोनों ने एक दूसरे के सिफारिशी नामों को नजरअंदाज किया

विवि अधिनियम की धारा 52 के तहत कुलपति डॉ धाकड़ की बर्खास्तगी के बाद कायदे से दूसरे दिन ही नए कुलपति की घोषणा हो जानी थी।राज्य सरकार ने कुलाधिपति आनंदीबेन को तीन नामों का पेनल भेजा था इसमें रानी दुर्गावती विवि जबलपुर के एक्टिंग वीसी रहे डॉ केलर, उज्जैन के प्रो मेहता और होल्कर कॉलेज प्राचार्य डॉ एसएल गर्ग के नाम थे। राजभवन ने इन नामों में से किसी एक को मंजूरी देने की अपेक्षा सरकार को नेशनल यूनिवर्सिटी सागर के जसवंत सिंह ठाकुर, करेली स्थित निजी कॉलेज की प्रिंसिपल रेणु जैन, रानी दुर्गावती विवि के डीन राजकुमार आचार्य इन तीन नामों का पेनल भेज दिया। राजभवन की तरह राज्य सरकार ने भी इनमें से किसी नाम को सहमति नहीं दी।इस टकराव की बर्फ अब तक नहीं पिघली है और इसका खामियाजा सीईटी परीक्षा दे चुके हजारों छात्रों को भुगतना पड़ रहा है, 17 हजार से अधिक ये छात्र असमंजस में हैं कि उन्हें देअविवि में एडमिशन मिल पाएगा भी या नहीं, यह प्रक्रिया वीसी के ही अधिकार क्षेत्र में है।वीसी नियुक्ति का मामला और लंबा खिंचने की स्थिति और ईद, राखी जैसे अवताश के चलते विवि में जीरो र जैसी स्थिति भी बन सकती है।एडमिशन नहीं होने पर विवि में आर्थिक संकट भी बढ़ जाएगा।
-अन्न के बाद आज से जल का भी त्याग
विवि में वीसी की तत्काल नियुक्ति की मांग को लेकर अनशन कर रहे अजय चौरड़िया ने नौवे दिन के बाद 24 जुलाई से पानी भी नहीं ग्रहण करने की घोषणा कर दी है। अनशन के चलते उनका पांच किलो वजन घट गया है।उनके आंदोलन को समर्थन देने वरिष्ठ पत्रकार डॉ वेदप्रताप वैदिक, आरडी जैन, पूरव विधायक गोपी नेमा, बालकृष्ण अरोरा पूर्व पार्षद ललित पोरवाल, कांग्रेस नेता पिंटू जोशी, विवि कर्मचारी संघ, सपॉक्स आदि संगठनों के पदाधिकारी भी पंहुचें हैं।

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