CBI पर सियासी भूचाल, 6 प्वॉइंट्स में जानें मोदी सरकार का स्टैंड
सीबीआई के फसाद पर अब सियासी भूचाल मच गया है. देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के दोनों वरिष्ठ अधिकारी एक-दूसरे पर गंभीर इल्जाम लगा रहे हैं, जिसके बाद यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि सही और गलत का पता कौन लगाएगा. इस सवाल पर हालांकि केंद्र सरकार ने स्थिति अब स्पष्ट कर दी है, लेकिन सरकार ने खुद को इस पूरे मामले की जांच से अलग कर लिया है.
1. विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें उनके खिलाफ घूस लेने का आरोप है. अस्थाना के खिलाफ सीबीआई टीम ने जांच शुरू कर गिरफ्तारी भी की. लेकिन अस्थाना ने पलटवार करते हुए सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ ही सरकार को पत्र लिख दिया. मामले ने तूल पकड़ा तो 23 अक्टूबर को आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना दोनों को छुट्टी पर भेजने का आदेश जारी हो गया. बता दें कि आलोक वर्मा के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं है, अस्थाना ने उनके खिलाफ सिर्फ शिकायती पत्र लिखा है, जबकि अस्थाना के खिलाफ बाकायदा एफआईआर दर्ज है.
2. बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि सीबीआई के दोनों बड़े अधिकारियों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया है. इसलिए निष्पक्ष जांच के मद्देनजर दोनों अधिकारियों को सीबीआई से अलग कर दिया गया है. उन्होंने इस कार्रवाई के पीछे सीवीसी की सिफारिश का हवाला दिया. जेटली ने बताया कि मंगलवार को सीवीसी ने अपनी मीटिंग में कानून के तहत ये सिफारिश की थी कि ये दोनों अधिकारी आरोपों की जांच नहीं कर सकते औ न ही इनके नेतृत्व में कोई एजेंसी आरोपों की जांच कर सकती है. यानी आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजने के पीछे मोदी सरकार ने सीवीसी की सिफारिशों का बताया है.
3. जेटली ने कहा कि हम दोनों में से किसी भी अधिकारी को दोषी नहीं मान रहे हैं और यदि जांच में उनकी भूमिका पर सवाल नहीं उठता तो वे वापस अपना कार्यभार संभाल लेंगे.
4. अरुण जेटली ने अपने बयान में ये भी साफ कह दिया कि सीबीआई अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के जो आरोप लगे हैं, उनकी जांच केंद्र सरकार नहीं कर सकती है, क्योंकि यह सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. जेटली ने सीबीआई एक्ट का हवाला देते हुए बताया कि एजेंसी से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) ही कर सकता है. यानी सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि अस्थाना या आलोक वर्मा में कौन सही और कौन गलत है, इसका पता लगाने कि लिए सीवीसी एसआईटी का गठन करेगी, सरकार का इसमें कोई रोल नहीं रहेगा.
5. अरुण जेटली ने कहा कि मामले में केन्द्र सरकार अपने अधिकार क्षेत्र में रहते नजर रख सकती है, जांच से उसका कोई लेना-देना नहीं है.
6. वहीं राकेश अस्थाना को पीएम नरेंद्र मोदी का ‘पसंदीदा’ बताने वाले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोप पर जेटली ने कहा कि जांच में सिर्फ सबूत मायने रखते हैं, रेड या ब्लू आई नहीं