भाजपा उत्तर प्रदेश में अध्यक्ष की तलाश तेज, ब्राह्मण चेहरे को कमान सौंप सकती है पार्टी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रचंड जीत के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष की तलाश तेज हो गई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद अब नया प्रदेश अध्यक्ष तलाशा जा रहा है। पार्टी का इतिहास देखा जाए तो बीते 20 वर्ष के दौरान लोकसभा चुनाव के समय प्रदेश अध्यक्ष की कमान ब्राह्मण के हाथ में ही रही है। इसी कारण 2024 के चुनाव को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अब नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में जुट गया है। माना जा रहा है कि इसी के नेतृत्व में 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा जाएगा।
भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश का पिछला इतिहास खंगालें तो ब्राह्मण समुदाय से किसी नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है। प्रदेश में 2004 से लेकर 2019 तक लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसे ही रहा है। इसी कारण ब्राह्मण चेहरे को लेकर सियासी चर्चाएं तेज हैं। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार बहुमत के साथ अपनी सरकार का गठन कर लिया है। भाजपा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह कैबिनेट मंत्री के तौर पर सरकार में शामिल हैं।
योगी आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल में उत्तर प्रदेश के जिन-जिन क्षेत्रों को जगह दी गई है उसे देखते हुए प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए इस बार सबसे मजबूत दावा पश्चिम उत्तर प्रदेश का बनता है। प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए पार्टी आलाकमान कई नामों पर विचार कर रहा है। इनमें विधायक, विधान परिषद सदस्य और सांसद भी शामिल हैं। यह तो तय है कि पार्टी इस बार ब्राह्मण चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी। नई सरकार में इस बार पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और पूर्व कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा को नहीं शामिल करने का एक प्रमुख कारण यह भी है कि इनमें से किसी को मौका मिलेगा। इन दोनों नेताओं के पास तो संगठन में काम करने का लंबा अनुभव है और सरकार नहीं तो संगठन में पार्टी निश्चित तौर पर उनकी क्षमता का उपयोग करेगी।श्रीकांत शर्मा के इनके अलावा कन्नौज में समाजवादी पार्टी का गढ़ ढहाने वाले सांसद सुब्रत पाठक और बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी भी प्रदेश अध्यक्ष की रेस में हैं। इन सभी में श्रीकांत शर्मा ब्रज क्षेत्र से आने के कारण रेस में सबसे आगे माने जा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष ने दिलाई सफलता: 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान केशरीनाथ त्रिपाठी उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष थे तो 2009 लोकसभा चुनाव के दौरान रमापति राम त्रिपाठी के हाथ में उत्तर प्रदेश भाजपा की कमान थी। 2014 के लोकसभा चुनाव के समय पार्टी के बड़े ब्राह्मण नेता लक्ष्मीकांत वाजपेयी प्रदेश अध्यक्ष थे। उस समय भाजपा ने 71 सीट जीती थी। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव के समय भाजपा ने महेन्द्र नाथ पाण्डेय को उत्तर प्रदेश में संगठन की कमान सौंपी थी। 2019 में भाजपा को 80 में से 63 सीट मिली है। अब पार्टी इसी ढर्रे पर चलने की तैयारी में हैं। इस बार भी ब्राह्मण चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती है भाजपा : देश में दो वर्ष बाद यानी 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है और इसके मद्देनजर तमाम जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधते हुए भाजपा को एक ऐसे मजबूत चेहरे की तलाश है जो उत्तर प्रदेश में उसके चुनावी लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार साबित हो सके। लोकसभा में सबसे अधिक 80 सांसद भेजने वाले उत्तर प्रदेश से भाजपा कम से कम 80 सीट जीतने की तैयारी में है। इसको लेकर पार्टी कोई समझौता नहीं कर सकती है।
प्रदेश में संगठन में भी होगा बड़ा बदलाव : लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाने के बाद उत्तर प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव की भी तैयारी कर रही है। सरकार से 22 मंत्रियों को जहां बाहर किया गया है, अब संगठन में भी बड़ा फेरबदल होगा। संगठन से प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह एवं अरविंद शर्मा, महासचिव जेपीएस राठौड़ और नरेन्द्र कश्यप को तो सरकार में शामिल किया गया है।