पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी का कृषि नीति पर सवालिया निशान, पुनर्चिंतन की सलाह
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के किसान बाहुल्य क्षेत्र पीलीभीत से भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी किसानों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के साथ ही केन्द्र सरकार को लगातार सलाह देने के साथ ही पत्र भी लिख रहे हैं। शनिवार को भी उन्होंने उत्तर प्रदेश में धान की फसल को लेकर मंडियों में किसानों की उपेक्षा को लेकर ट्वीट किया है।
कई मौकों पर पार्टी लाइन से इतर राय रखने वाले भाजपा सांसद वरुण गांधी बीते कुछ समय से लगातार योगी आदित्यनाथ सरकार की नीतियों की आलोचना कर रहे हैं। मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को किसान महापंचायत के बाद से किसानों के पक्ष में लगातार खड़े रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी ने इसी दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी कई पत्र लिखे थे। शनिवार को उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल से एक वीडियो भी शेयर किया है। इसमें उन्होंने लिखा कि उत्तर प्रदेश के किसान समोध सिंह पिछले 15 दिनों से अपनी धान की फसल को बेचने के लिए मंडियों में मारे-मारे फिर रहे थे। इसके बाद भी जब उनका धान बिका नहीं तो निराश होकर इसमें स्वयं आग लगा दी। उन्होंने कहा कि देश तथा प्रदेश की इस व्यवस्था ने किसानों को कहां लाकर खड़ा कर दिया है। पीलीभीत से भारतीय जनता पार्टी के सांसद ने इसके साथ ही कहा कि कृषि नीति पर पुनर्चिंतन आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
उत्तर प्रदेश के किसान श्री समोध सिंह पिछले 15 दिनों से अपनी धान की फसल को बेचने के लिए मंडियों में मारे-मारे फिर रहे थे, जब धान बिका नहीं तो निराश होकर इसमें स्वयं आग लगा दी।
इस व्यवस्था ने किसानों को कहाँ लाकर खड़ा कर दिया है? कृषि नीति पर पुनर्चिंतन आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है।
इससे पहले वरुण गांधी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में बाढ़ के हालात को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना की। वरुण गांधी ने अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र पीलीभीत में भारी बारिश के कारण आई जबरदस्त बाढ़ को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अगर आम आदमी को उसके हाल पर ही छोड़ दिया जाएगा तो फिर किसी प्रदेश में सरकार का क्या मतलब है। पीलीभीत से सांसद वरुण ने ट्वीट किया था कि तराई का ज्यादातर इलाका बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। बाढ़ से प्रभावित लोगों को सूखा राशन उपलब्ध कराया है ताकि इस विभीषिका के खत्म होने तक कोई भी परिवार भूखा ना रहे। यह दुखद है कि जब आम आदमी को प्रशासनिक तंत्र की सबसे ज्यादा जरूरत होती है तभी उसे उसके हाल पर छोड़ दिया जाता है। जब सब कुछ अपने आप ही करना है तो फिर सरकार का क्या मतलब है।