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भोपाल रेलवे ने 6 घंटे अभियान चलाकर बचाई कुतिया और उसके नवजातों की जान

— भोपाल डीआरएम अपनी टीम के साथ मौजूद रहे
— रेलवे के बचाव दल ने पेश किया मानवता का उदारण

मध्यपदेश। एक तरह जहां सरकारी अफसर असवेंदनशील होने ने उदारण हर दिन देखने सुनने को मिलता है वहीं भोपाल रेलवे डीआरएम और उनकी टीम ने रात में 6 घंटे अ​भियान चलाकर प्रसूता कुतियां और उसके नवजात बच्चों को बचा कर नई उम्मीद जगाई है। अभी कुछ लोग है जो मानवता और सवेंदनशीतला से भरे है।

दरअसल, 2—3 नवंबर 2019 की दरम्यानी रात भोपाल रेलवे स्टेशन के समीप रेल पटरियों के नीचे से कुत्ते के रोने की आवाज लगातार आ रही थी। वहां से निकालने वालों को समझ नहीं आ रहा था कि कुत्ता क्यों रो रहा है और कहां से आवाज आ रही है। जगरूक लोगों ने सूचना भोपाल डीआरएम उदय बोरवणकर को दी। उन्होंने तत्तपरता दिखाते हुए बचाव दल और अधिककरियों को वहां भेजकर स्वंय कुछ देर पहुंचने की बात कही।

मौके पर बचाव दल पहुंचा तो पटरियों के उंचे ढेर के नीचे से कुत्ते के रोने की आवाज सुनाई दी। बचाव दल ने पटरियों को हटाने का काम शुरू किया। पटरियों को हटाते वक्त यह भी ध्यान रखना था कि कहीं पटरियां कुत्ते के उपर न गिर जाए। करीब 6 घंटे की मश्क्कत के बाद पटरियों के नीचे से कुत्तीयां और उसके नवजात बच्चों को बहार निकाला गया। बचाव दल और वहां मौजूद डीआरएम उदय बोरवणकर के चहरे पर खुशी दिखाई दी कि उन्होंने कितनी जानों को बचा लिया। रेलवे के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के चहरे पर अफसोस नहीं थर कि एक कुत्तियां के लिए 6 घंटे का अभियान चलाना पडा। डीआरएम उदय बोरवणकर और उनकी टीम ने य​ह सबित कर दिया कि निराश होने की जरूरत नहीं है, अभी कुछ लोग बाकि है जिनमें मानवता और इंसानियत है।

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