Astronomical Event : 400 साल बाद दिखने जा रही 2020 की सबसे बड़ी खगोलीय घटना, देखना नहीं भूलना
सूरज के ढ़लते ही रिंग वाला सुंदर ग्रह सेटर्न और सबसे विशाल ग्रह जुपिटर को जोड़ी बनाते इस समय पश्चिमी आकाश में देखा जा सकता है। दोनो ग्रह मिलन को आतुर है। आने वाली हर शाम को यह नजदीकियां बढ़ती नजर आयेंगी। 21 दिसंबर को जबकि इस कोरोना साल की सबसे लंबी रात होगी तब ये दोनो ग्रह 0.1 डिग्री की दूरी पर दिखते हुये एक दूसरे में मिलते से दिखेंगे। भारत सरकार का नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने बताया कि दो बड़े ग्रहों के पास दिखने की यह खगोलीय घटना ग्रेट कंजक्शन कहलाती है। पूर्णिमा का चंद्रमा जितना बड़ा दिखता है उसका पांचवा भाग ही उनके बीच की दूरी रह जायेगी।
सारिका ने बताया कि गैलीलियों द्वारा उसका पहला टेलिस्कोप बनाये जाने के 14 साल बाद 1623 में ये दोनो ग्रह इतनी नजदीक आये थे ,उसके बाद इतना नजदीकी कंजक्षन अब दिखने जा रहा है। आने वाले समय में इतनी नजदीकियां 15 मार्च 2080 को होने वाले कंजक्शन में देखी जा सकेंगी।
सारिका ने बताया कि वैसे तो गुरू और शनि का यह मिलन हर 20 साल बाद होता है लेकिन इतनी नजदीकियां कम ही होती हैं। पिछला सन 2000 में हुआ था लेकिन वे दोनो सूर्य के पास थे इसलिये उन्हें देखना मुश्किल था।
क्यों होता है ग्रेट कंजक्शन-
सारिका ने बताया कि सौर मंडल का पांचवा ग्रह जुपिटर और छटवा ग्रह सेटर्न निरंतर सूर्य की परिक्रमा करते रहते है। जुपिटर की एक परिक्रमा लगभग लगभग 11.86 साल में हो पाती है तो सेटर्न को लगभग 29.5 साल लग जाते हैं। परिक्रमा समय के इस अंतर के कारण लगभग हर 19.6 साल में ये दोनो ग्रह आकाष में साथ दिखने लगते हैं। जिसे ग्रेट कंजक्षन कहा जाता हैं।
कैसे पहचानें-
सारिका ने जानकारी दी कि सूरज के ढ़लने पर दक्षिण की ओर चेहरा करके खडे हो जायें। अब अपनी नजर पश्चिमी आकाश की तरफ करें तो देखेंगे तो ग्रह एक दूसरे से जोड़ी बनाते नजर आ रहे है। इनमें से बड़ा चमकदार जुपिटर है तो उसके साथ का ग्रह थोड़ा कम चमकदार शनि ग्रह है। लगभग 8 बजे ये जोड़ी अस्त हो जायेगी। इसलिये देर न करें और हर शाम गवाह बने इनके मिलन के।
— पिछला कंजक्शन
31 मई 2000 – सूर्य के नजदीक होने के कारण इसे ठीक से देखा न सका।
— अगले कंजक्शन
5 नवम्बर 2040
10 अप्रैल 2060
15 मार्च 2080 जो कि 21 दिसंबर 2020 को होने वाले कंजक्शन के समान होगा।