रीवा में राहुल, इस इलाके में BSP बिगाड़ती रही है कांग्रेस का खेल!
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र के दौरे पर हैं. राहुल अपने दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार को रीवा जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे. राज्य की सत्ता से 15 साल से दूर कांग्रेस के लिए इस बार करो या मरो की हालत है. यही वजह है कि कांग्रेस कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है.
यूपी से सटे मध्य प्रदेश के रीवा में बसपा का अच्छा-खासा आधार है. यही वजह है कि कांग्रेस की राह में सबसे बड़ी रोड़ा बसपा बनी हुई है. राज्य के विंध्य और बुंदेलखंड क्षेत्र की 17 विधानसभा सीटें ऐसी रही हैं जहां बसपा उम्मीदवारों को 30 हजार या उससे ज्यादा वोट मिले थे.
मौजूदा समय में रीवा जिले में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं. 2013 के विधानसभा चुनाव में रीवा की इन 8 सीटों में से कांग्रेस को 2 पर जीत मिली. जबकि बीजेपी को 5 और बसपा के खाते एक सीट गई थी. जबकि 2008 के चुनाव में कांग्रेस का जिले में खाता भी नहीं खुला था.
दिलचस्प बात ये है कि बसपा सिमरिया विधानसभा सीट पर महज 6 हजार वोटों से हार गई थी. इसके अलावा बाकी सीटों पर कांग्रेस के हार की वजह बसपा बनी थी. जिले की देवतालाब ऐसी विधानसभा सीट है जहां 1985 से कांग्रेस जीत नहीं सकी है. 1985 के बाद से अब तक बसपा दो बार और बीजेपी तीन बार चुनाव जीत हासिल कर चुकी है.
2013 में रीवा का का समीकरण
2003 के विधानसभा चुनाव में रीवा में में कांग्रेस का सफाया हो गया था. 2003 में रीवा में 7 विधानसभा सीटें हुआ करती थी. इनमें से बीजेपी के खाते में 5 सीटें गई. जबकि बसपा को 1 सीट मिल और एक सीट पर सीपीएम को जीत मिली. कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पाई थी. बस यही वह साल था जब बीजेपी ने रीवा में अपनी मजबूत पकड़ बनायीं.
कांग्रेस का नहीं खुला खाता
2008 के परिसीमन के बाद रीवा जिले में सेमरिया विधानसभा सीट जुड़ गई. इस तरह से जिले में 8 सीटें हो गई. बीजेपी ने अपनी जीत 2003 चुनाव से 1 सीट और बढ़ा ली. 2008 में जिले में बीजेपी को 6 सीटों पर जीत मिली और 1 सीट पर बसपा को जीत मिली. जबकि 1 सीट पर उमा भारती की पार्टी भारतीय जनशक्ति पार्टी को जीत मिली . हालांकि बाद में भारतीय जनशक्ति पार्टी का विलय बीजेपी में हो गया और बीजेपी की सीटों की संख्या 7 हो गई.
रीवा में बीजेपी, कांग्रेस, बसपा के साथ-साथ निर्दलीय उम्मीदवार भी ताल ठोक रहे हैं. बीजेपी जहां अपना दुर्ग को बरकरार रखने के जद्दोजहद कर रही है. वहीं, कांग्रेस अपनी सीटें बढ़ाने की कोशिश में है, लेकिन बसपा की उसकी राह में सबसे बड़ी रोड़ा बनी हुई है. रीवा जिले की 8 विधानसभा सीटों पर हमेशा की तरह इस बार भी क्षेत्रीय समीकरण हावी रह सकते हैं.