बसपा ने छत्तीसगढ़ में उतारे उम्मीदवार, ये राजनीतिक समीकरण
छत्तीसगढ़ की सियासी रणभूमि में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधे मुकाबले को मायावती और अजीत जोगी ने आपस में हाथ मिलाकर त्रिकोणीय बना दिया है. जनता कांग्रेस जोगी (जेसीजेसी) 55 और बसपा 35 सीटों पर चुनाव लड़ने का तालमेल हुआ है. बसपा ने अपने 35 उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी कर दी है.
बसपा के खाते में ऐसी सीटें आई हैं जो दलित और आदिवासी बहुल मानी जाती हैं. जांजगीर, बलौदाबजार, मुंगेली आदि जिलों की सीटों पर बसपा प्रमुखता दी गई है. इन्हीं इलाकों में पार्टी का जनाधार भी है. हालांकि मौजूदा समय में बसपा के पास महज एक सीट हैं.
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 10 सीटों में से 8 सीटें बसपा के खाते में गई हैं. इनमें सारंगढ़, अहिवारा, नवागढ़, ढोंगरगढ़, मस्तुरी और सरायपाली सीटें शामिल हैं. जबकि आरंग और मुंगेली दो सीटें जोगी की पार्टी को मिली हैं.
राज्य में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 12 सीटों पर बसपा चुनाव लड़ेगी. जबकि 17 सीटों पर जोगी लड़ेंगे. इसके अलावा बसपा 15 सीटें सामान्य पर अपने उम्मीदवार उतारेगी.
छत्तीसगढ़ में बसपा और जोगी के बीच हुए गठबंधन से दोनों पार्टियां उम्मीद लगाए हुए हैं. उन्हें लगता है कि गठबंधन से न सिर्फ उनका वोट फीसदी बढ़ेगा बल्कि सीटों में भी बढ़ोतरी होगी.
गठबंधन के तहत बसपा को मिली सीटों का मुल्यांकन करें तो मायावती के खाते वही सीटें आई हैं, जहां 2013 में काफी मजबूती से उनके उम्मीदवार चुनाव लड़े थे. 2013 में बसपा जैजेपुर विधानसभा सीट जीतने में कामयाब रही थी.
2013 के विधानसभा चुनाव में पामगढ़ और चंद्रपुर में बसपा दूसरे स्थान पर रही. जबकि अलकतरा, बिलाईगढ़ और सारगंढ में बसपा उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे थे. ये सीटें भी बसपा को मिली हैं.
जोगी के साथ हुए गठबंधन में बसपा को के खाते में दो दर्जन सीटें ऐसी आई हैं, जिस पर पिछले चुनाव में उसे 5 हजार से कम वोट मिले थे. बसपा ने सुरक्षित सीटों पर जो अपने उम्मीदवार उतारे हैं उनमें नवागढ़ ऐसी सीट है जहा पिछले चुनाव में 2805 वोट ही मिले थे. जबकि अहिवारा सीट पर बसपा उम्मीदवार को महज 1270 वोट मिले थे.
बसपा के खाते में रायपुर साउथ सीट भी आई है. इस सीट पर मौजूदा समय में बीजेपी के बृजमोहन अग्रवाल विधायक हैं. जबकि कांग्रेस के किरणमय नायक को 46630 वोट मिले थे. वहीं, बसपा को महज 596 वोट मिले थे. इसके बावजूद ये सीट बसपा के खाते में गई है.
छत्तीसगढ़ में 31.8 फीसदी मतदाता आदिवासी समुदाय से हैं और 11.6 फीसदी वोटर दलित हैं. दोनों समुदाय के मिलकर करीब 43.4 फीसदी वोट होते हैं, जो किसी भी पार्टी को सत्ता में पहुंचाने के लिए काफी अहम हैं. इसी मद्देनजर बसपा और अजीत जोगी ने आपस में गठबंधन किया है.
राज्य की 29 विधानसभा सीटें अदिवासी समुदाल के लिए आरक्षित है. लेकिन करीब 35 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां एसटी की आबादी 50 फीसद से अधिक है. जोगी इन्हीं सीटों पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार रमेश रिपू कहते हैं कि कांग्रेस से बगावत कर अलग पार्टी बनाने वाले अजीत जोगी बसपा के साथ गठबंधन करके कर्नाटक की तरह किंगमेकर बनना चाहते हैं. उन्हें लगता है कि त्रिशंकू नतीजे आते हैं तो कांग्रेस बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए उन्हें समर्थन दे सकती है. हालांकि कांग्रेस नेता भी मानते हैं कि बसपा और जोही के साथ जाने से करीब एक दर्जन सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है.