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NRC: ममता के ‘गृहयुद्ध’ वाले बयान से कांग्रेस नाखुश, BJP को फायदा पहुंचने का डर

असम में जारी हुआ NRC का डाटा बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है. विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर रही है. इस बीच NRC मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर बवाल मच गया है. ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा था कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो देश में गृहयुद्ध की स्थिति हो सकती है. अब सूत्रों की मानें तो ममता के इस बयान से कांग्रेस खासी नाराज दिख रही है.

सूत्रों के अनुसार, पार्टी इस मुद्दे पर शांति से तथ्यों पर विरोध दर्ज कराना चाहती है. लेकिन वह किसी भी कीमत पर गृहयुद्ध जैसे शब्दों का प्रयोग नहीं करेगी. बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर मंगलवार रात को कांग्रेस की एक इंटरनल बैठक भी हुई. जिसके बाद रिपुन बोरा ने कांग्रेस की ओर से सफाई दी कि कांग्रेस ममता के बयान का समर्थन नहीं करती है. कांग्रेस को डर है कि इस प्रकार की बयानबाजी से अन्य राज्यों में बीजेपी के पक्ष में माहौल बन सकता है.

बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर ममता से बात करने की जिम्मेदारी अहमद पटेल और गुलाम नबी आजाद को दी गई है. आपको बता दें कि ममता बनर्जी अभी दिल्ली के दौरे पर हैं, इस दौरान वह कई नेताओं से मुलाकात कर रही हैं. ममता NRC के मुद्दे पर काफी आक्रामक तरीके से बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) में करीब 40 लाख लोगों के नाम न होने को लेकर बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि इससे देश में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो जाएगी. इसके अलावा ममता ने इस मुद्दे को एक वैश्विक मुद्दा बताया है.

उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित कदम बताया. ममता ने कहा, ‘हम ऐसा नहीं होने देंगे. बीजेपी लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है. इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. इससे देश में गृहयुद्ध की स्थिति बन जाएगी, खूनखराबा होगा.’

ममता ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह राजनीतिक फायदे के लिए असम में लाखों लोगों को ‘‘राज्यविहीन’’ करने की कोशिश कर रही है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने यहां एक सम्मेलन में कहा, ‘‘राजनीतिक मंशा से एनआरसी तैयार किया जा रहा है. हम ऐसा होने नहीं देंगे. वे (भाजपा) लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं. इस हालात को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. देश में गृह युद्ध, खूनखराबा हो जाएगा.’’

बता दें कि असम में बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा सोमवार को जारी कर दिया गया. असम देश में एकमात्र ऐसा राज्य है जहां एनआरसी जारी किया गया है, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य के कुल 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम हैं. जबकि करीब 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं.

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