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क्या सच में “अंगूर खट्टे हैं”!

 

             (होमेंद्र देशमुख) 

 

डिजिटल और सोशल मीडिया के एक कार्यशाला में कल वरिष्ठ डिजिटल क्रांतिवीरों को सुनने का मौका मिला .. वेब के साथ सोशल मीडिया पर भी हानि-लाभ ,आदि आदि पर बातें भी हुईं ,पर मैंने सोशल मीडिया का आम जीवन में कई झंझावतों और परहेज के साथ स्वीकार और आत्मसात होते देखा है ।

डिजिटल मीडिया पर चर्चा करना विशेषज्ञों का काम है पर उसके इतर सोशल मीडिया ,जीवन की न्यूनतम जरूरतों के बावजूद सूचना एवं तथ्यों के संकलन और मृगतृष्णा रूपी प्रतिष्ठा की भूख की तृप्ति भी है। व्यस्ताओं तथा आपा-धापी के बीच पारिवारिक और सामाजिक रिश्ते निभाने के तकनीकी माध्यमों पर औपचारिकताओं का कुशलक्षेम, परिवार और मित्रों के बीच बधाई देने, सुख दुःख मे न मिलने का वक्त , न बतियाने का । सब दावा करते हैं कि यह महज एक ढोंग का चादर है ,पर ओढ़े सब हैं । इसी हल्की -फुल्की विषय पर गंभीर चर्चा इन दिनों जोरों पर है । सोशल मीडिया की आदत या इस प्रवृति की प्रकृति और परिवेश वक्त की मजबूरी और औपचारिकताओं के साधन का महज विस्तार भी है । सारे नही तो अधिकतर रिश्ते अब सोशल मीडिया पर ही तो निभाए जा रहे हैं ,बल्कि सोशल रिश्तों के डिजिटल आयाम से और मजबूत किये जा रहे हैं । सोशल मीडिया वक्त की जरूरत है । अरे हम अपने पड़ोसी के घर नही जा पाते | ये बाकी लोग कौन जा पाएंगे। सबको मालूम है इसका हल कि इसका कोई हल नही है । केवल यह आपकी सोच पर ज्यादा निर्भर है । हर शक़्स तुझे बदनाम कहता है – मगर जुत्स-ज़ू भी है कि शाम तेरे पहलू में बीते । कोई यह मानने को तैयार क्यों नही कि औपचारिक चिंतन के तीर तकनीक की प्रत्यंचा पर चढ़ा कर आपकी तरफ फेंका गया वष्तु जरूर पुष्प ही होगा । स्वागत करें..

— एक छोटी सी, सुनी -सुनाई किस्से से अपनी बात कहना चाहूंगा

एक बार एक आदमी की जेब में ₹ 1 का सिक्का और ₹ 2000 का नोट एक साथ मिले। एक का सिक्का तो 2000 के नोट को देखकर अभिभूत हुए जा रहा था ।अपने आपको धन्य समझ रहा था कि आज इतने बड़े हस्ती के साथ रहने का मौका मिला है । 2000 के नोट ने सिक्के से पूछा ऐसा क्या देख रहे हो भाई ?
सिक्के ने जवाब दिया आप जैसे मूल्यवान व्यक्ति आप मेरे आदर्श ,सपना ।
आपसे मिलने की इच्छा तो बहुत दिन से थी ,आज वह सपना सच हुआ । ऐसा लग रहा है कि मेरे सारे सपने पूरे हो गए, मैं तो खुशी के मारे फुला नहीं समा रहा हूं ।मुझसे तो आप का मूल्य 2000 गुना ज्यादा है । आप बहुत बड़े हैं तो बताइये न , कहां कहां घूमे आप आप कितने ही लोगों के काम आए होंगे ना !
2000 के नोट ने जवाब दिया –
तू जो सोच रहा है वैसा कुछ नहीं है भाई !
मैं एक बहुत ही बड़े उद्योगपति के कब्जे में थी। उसके तिजोरी में बंद थी। टैक्स चोरी के मामले में वह फंसा , तब मैं कहीं बाहर आई । मुझे लगा अब मुझे मुक्ति मिलेगी ,लेकिन रिश्वत के रूप में उसने मुझे एक अधिकारी को सौंप दिया और अधिकारी ने मुझे बैंक लॉकर में डाल दिया वहां तो कितना अंधेरा था । मेरा तो जैसा दम ही घुट रहा था बस कुछ ही दिन पहले वहां से निकलकर इस भले इंसान के जेब में आई हूं और हम मंदिर जा रहे हैं । वह भी तेरे साथ !
सच कहो तो मेरा जीवन तो मानो जेल में ही बीता है । हां मेरे जैसे कुछ लोगों को कुछ दिन बैंक मे भी रहने का मौका मिला । वे भी केवल किसी कैशलेश -वैशलेश के चक्कर मे एक ही जगह दुबके रहे ।
सिक्के भाई तुम अपनी सुनाओ !
सिक्के ने कहा – मेरी यात्रा तो बड़ी मजेदार थी मैं आपको सुनाता हूं । मैं तो कभी किसी भिखारी के हाथ में गया । कभी किसी रोते हुए बच्चे के हाथ पहुंच कर उसे चॉकलेट दिलवाये |कई तीर्थ स्थान भी देखे मैंने , और प्रभु के चरणों में भी मुझे चढ़ने का मौका मिला । हां , कभी कभी मैं आप जैसे नोट के साथ भी मंदिर गया , क्योंकि जब मंदिर में जाना होता है तो कभी कभी अकेले जाता था या कुछ बड़े आप जैसे नोट के साथ मुझे शुभ मानकर चढ़ा दिया जाता था । जैसे कई बार 10 रु के नोट के साथ 11 बन गया, 20 रु के नोट के साथ 21 बन गया ,50 रु के साथ 51 बन गया ,100 रु के नोट के साथ 101 बन गया 500 रु के नोट के साथ तो एक बार में 501 भी बन गया लेकिन आपके साथ आज मुलाकात मेरी पहली बार हुई। भक्त मुझे उनके साथ अक्सर प्रभु के चरणों में रख देते थे | कभी लोग मुझे आरती की थाली में, कभी अल्लाह के चादर पर ! ऐसे घूमते घूमते मेरे दिन बीत रहे हैं।
यह सुनकर 2000 के नोट की आंखों में आंसू भर आए …!!
अर्थात, हम कितने बड़े हैं उससे ज्यादा यह महत्वपूर्ण है ,कि हम कितने उपयोगी हैं | बड़े हुए और हम उपयोगी नहीं हैं या सब के काम आने लायक नहीं हैं या सब के सुख-दु:ख में आने-जाने लायक नहीं है तो हमारा जीवन किस काम का, कोई संख्या मे बड़ा, कोई धन मे बड़ा कोई ग्यान मे बड़ा कोई अभिमान मे बड़ा | पर सबसे बड़ा वही जो छोटा बन कर सब मौके लूटने को लालायित और आनंदित हो ।
सबसे अच्छा तो सिक्के भाई तुम हो ! जो सब के काम आते हो सही मायने में तो तुम सबसे बड़े हो…!!
यहां -मेरी नजर मे
2000 का नोट किसी अमीर व्यक्ति से नही बल्कि सुविधा सम्पन्न, व्यस्ततम जीवन, उच्च मानसिकता,अधिशासी वर्ग आदि आदि से भी हो सकता है ।
सिक्का का मतलब आप स्वयं समझते हैं । वह न्यूनतम आवश्यकता या व्यक्तित्व जो मिल जाये तो एक और एक ग्यारह बन जाता है। जो वक्त जरूरत हर बड़े व छोटे के साथ कंधा मिला कर खड़े होने तत्पर रहता है,और न जिसे निमंत्रण देने की जरूरत नही पड़ती ।
कैशलैश का अर्थ, तकनीकी के विकास के साथ शुभकामनाओं का आदान प्रदान व इसी तरह के आचार व्यवहार हो सकते हैं। ये जो पाकिट है ,जेब है ,बटुआ है , वह है सोशल मीडिया का , जिसने सब अमीर गरीब, छोटे-बड़े, शासित-शासक, नेता-प्रजा, अधिकारी-कर्मचारी, उच्च-निम्न को एक ही साथ रख दिया है ।
चाहे तो आप भी यकीन से कह सकते हैं कि सारे “अंगूर खट्टे नही !”
और कोई गूढ़ अर्थ दिखता हो तो वह आपका विवेक है।

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