अयोध्या विवाद पर पीएम मोदी के बयान पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कही ये बात
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड(AIMPLB) के विशेष सदस्य एवं हेलाल कमेटी अयोध्या के कन्वीनर खालिक अहमद खां ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Narendra Modi) द्वारा अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद के बारे में दिया गया बयान स्वागत योग्य है। अहमद खां ने बुधवार को यहां एजेंसी से बातचीत करते हुए कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर अध्यादेश का फैसला अभी नहीं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है। न्यायालय का फैसला आने के बाद ही सरकार इस मामले पर कोई विचार करेगी। उन्होंने कहा कि यह बयान संवैधानिक मर्यादाओं के अनुरूप देश के प्रधानमंत्री का पहला बयान है जो स्वागत योग्य है।
उन्होंने कहा कि यह सच है कि अयोध्या विवाद न्यायालय में विचाराधीन है। बगैर निर्णय आये सरकार द्वारा अध्यादेश लाना विधिक न होगा। उन्होंने कहा कि यह बात देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जुबान से सुनकर मुसलमानों को संतोष हुआ है। उन्होंने कहा कि गत माह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के द्वारा लिये गये निर्णय के अनुरूप प्रधानमंत्री ने कहा है। उन्होंने कहा कि पहले भी राम मंदिर-बाबरी मस्जिद पर मुस्लिम समाज का साफ मत था कि न्यायालय जो निर्णय करेगी उसे पूरे देश का मुसलमान मानने के लिये तैयार होगा।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के विशेष सदस्य ने कहा कि मंदिर-मस्जिद विवाद में चौदह अपील उच्चतम न्यायालय में लम्बित है, जिसमें मुसलमानों की ओर से आठ अपील है और हिन्दू पक्ष की ओर से छह अपील है। उन्होंने बताया कि छह अपीलों में मात्र एक अपील मुसलमानों के विरुद्ध है। दो अपील रामलला के विरुद्ध हिन्दू पक्षकारों ने कर रखी है। हिन्दू पक्ष की ओर से एक-एक अपील निमोर्ही अखाड़ा, राजेन्द्र सिंह एवं सुरेश दास के विरुद्ध है।
उनका मतलब यह था कि अदालत में ही हिन्दू पक्षकार के एक दूसरे के विरुद्ध खड़े हैं । किसी एक के पक्ष में अपना-अपना दावा नहीं छोड़ रहे हैं, इसलिए मुसलमान अगर मंदिर-मस्जिद के समझौते की बात करना भी चाहता है तो किस हिन्दू पक्षकार से करे, जिसकी बातें सभी हिन्दू पक्षकार मान सकें।
खां ने कहा कि पर्सनल लॉ बोर्ड राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद पर शुरू से यह कहता आ रहा है कि अदालत के जरिये ही इसका हल निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि उच्चतम न्यायालय का फैसला आने के बाद ही सरकार इस पर कोई कार्रवाई कर सकती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिन्दू परिषद को मंदिर-मस्जिद मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान का सम्मान करना चाहिये। उन्होंने कहा कि देश लोकतांत्रिक व्यवस्था से चलता है