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बदलाव की बयार: देश में मिसाल बनेगी खिजराबाद की जामा मस्जिद
-मस्जिद में दिल की बात सुनने उमड़ा हुजूम
(कीर्ति राणा )
स्वच्छता में नंबर वन शहर के रूप में पहचाने जाने वाले शहर की खिजराबाद स्थित जामा मस्जिद में बदलाव की बयार जुमे की नमाज के बाद चली। इस मस्जिद से देश में यह पैगाम भी फैलना तय है कि मदरसों-मस्जिदों में दीनी तालीम के साथ तरक्कीपसंद विचारों को भी तवज्जो देना ही चाहिए। खिजराबाद जामा मस्जिद के इमाम ओ खतीब मौलाना मोहम्मद रौनक नदवी की पहल पर पहली बार कार्डियक सर्जन डॉ मोहम्मद अली (राजश्री अपोलो हॉस्पिटल) ने दिलकी बीमारी और सावधानी से जुड़ी तकरीर दी और लोगों को बताया कि इस्लाम में शराबनोशी को तो हराम माना ही गया है, सेहत की बेहतरी के लिए सिगरेट-तंबाकू को भी हराम माना जाए।मस्जिद में हुई दिल की इस बात को सुनने बेइंतिहा हुजूम उमड़ा।
जामा मस्जिद के इमाम मौलाना नदवी तरक्कीपसंद विचार वाले हैं संभवत:इसी वजह से यहां डॉ मो. अली की दिल से जुड़ी बातें हो सकीं।इस चर्चा को सुनने खिजराबाद, मैजेस्टिक नगर, तंजीम नगर, बाबा हाजी कॉलोनी, बाबा फरीद नगर के साथ ही शहर के अन्य हिस्सों से भी लोग आए थे। बाद में इनमें से कई ने डॉ अली से सवाल जवाब के साथ अपने क्षेत्र की मस्जिदों में भी ऐसी तकरीर का अनुरोध भी किया।
हार्ट पेशेंट के काम की बात बताई कार्डियक सर्जन डॉ मो अली ने
दिल की बीमारी सिर्फ अल्पसंख्यक समाज में ही हो ऐसा भी नहीं है। डॉ अली ने जो सावधानियां बरतने के लिए कहा वो सभी समाजों के दिल के मरीजों और इस बीमारी से बचाव के लिहाज से भी काम के टिप्स हैं।
-दिल की बीमारी उम्र नहीं देखती, 21 का युवा, 65 का बुजुर्ग भी शिकार हो सकता है।
-नो युवर नंबर यानी ब्लडशुगर, कोलोस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर के आंकड़े हमेशा याद रखें।
-एक्सरसाईज, डाईट और दवाइयां तीनों पर अमल करें।
-मार्निंग वॉक अनिवार्य रूप से जूते पहन कर करें, चप्पल पहन कर करेंगे तो घुटनों की तकलीफ शुरु हो सकती है।
-बाहर का खाना, नॉनवेज, तली गली चीजें न खाएं। घर का बना जो मर्जी हो खाएं।घर के खाने में भी तेल-घी का न्यूनतम उपयोग हो।
-शरीयत (धर्म से) जुड़े मामलों में धर्मगुरु की बात मानें, बीमारी से बचाव में डॉक्टर की मानें।
-सिगरेट, तंबाकू के सेवन से कैंसर की संभावना बढ़ सकती है।हार्ट के मरीज तो कतई सेवन नहीं करें।
-मानसिक तनाव से बचें, लोगों की मदद करें, मन को खुशी मिलेगी, तनाव से बचेंगे।
-पांच वक्त की नमाज पढ़ने वालों को बीमारी नहीं होती, यह भ्रम न पालें।
-जिस्म के साथ छेड़छाड़ यानी खुदा (भगवान) के इस तोहफे के साथ नाइंसाफी करना है।
-हजरत साहब फरमा चुके हैं कि मर्ज से पहले सेहत को गनीमत मानें।
सेहत के मामले में असर तो डॉक्टर की बात का ही होगा-मौलाना नदवी
जामा मस्जिद के इमाम मौलाना रौनक नदवी ने प्रजातंत्र से चर्चा में कहा मैं अपनी तकरीर में सेहत को लेकर कितना भी कहूं, असर तो डॉक्टर की बात का ही होगा। बहुत पहले से दिमाग में यह बात थी कि बेहतर सेहत, बीमारियों से बचाव के लिए कुछ पहल की जाए। उम्मीद नहीं थी इतने लोग जुटेंगे, अलविदा के जुमा (रमजान के बाद आने वाला शुक्रवार) जैसा हुजूम रहा, महिलाएं भी आईं थीं सुनने।मस्जिदों में अवामी प्रोग्राम की शुरुआत तो की है, बाकी जगह भी लोग अपनाएंगे यह भरोसा है।