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पांच साल की बच्ची का रेप कर उसकी हत्या करने वाले को फांसी नहीं होगी,सजा बदली गई

— सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी सचिन की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला

दिल्ली । मध्यप्रदेश के सतना जिले में एक पांच साल की बच्ची का रेप कर उसकी हत्या करने वाले सचिन नाम के आरोपी को अब फांसी नहीं दी जाएगी, सुप्रीम कोर्ट ने उसकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। सचिन अब 25 साल तक जेल मे रहेगा,उसके बाद उसकी रिहाई होगी।

दरअसल, 23 फरवरी 2015 को सचिन सिंगरहा पिता सज्जन सिंगरहा 33 वर्ष निवासी ग्राम इटमा थाना मैहर जिला सतना ने अपने मैजिक वाहन क्रमांक एमपी 19 टी-2374 में गांव की पांच साल की बच्ची का रेप कर उसकी हत्या करने के बाद उसका शव ग्राम परसवारा के पास नहर के किनारे एक कुएं में फेंक दिया था। बच्ची के भाई ने उसे सचिन के मैजिक वाहन में बैठाया था कि उसे वह स्कूल तक छोड दे,लेकिन सचिन ने बच्ची को अकेला पाकर यह कृत्य किया। बच्ची जब शम तक घर नहीं पंहुची तो पजिनों ने उसकी तालाश शुरू की,पुलिस को भी सूचना दी गई। पुलिस ने मैजिक वाहन चालक सचिन को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने बताया कि बच्ची को अकला देखकर उसने रेप किया और फिर हत्या कर शव फेंक दिया है। सचिन के निशानदेही पर पुलिस ने बच्ची का शव बरामद कर लिया। सचिन पर रेप, हत्या का प्रकरण दर्ज उसे अदालत में पेष किया गया।

सुनवाई के बाद मैहर जिला सतना कोर्ट के एडीजे सीडी शर्मा ने 10 अगस्त 2015 को आरोपी सचिन को दोपी पाते हुए धारा 376 के तहत फांसी, 302 के तहत फांसी तथा 10 हजार का जुर्माना, धारा 363 के तहत सात वर्ष का कारावास तथा 5 हजार का जुर्माना, धारा 201 के तहत 8 वर्ष का कारावास तथा 5 हजार का जुर्माना एवं धारा 3/4 बाल संरक्षण अधिनियम के तहत आजीवन कारावास तथा 10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाया है। अदालत ने फांसी का आदेश पारित करते हुए लिखा है कि दोषी को तब तक फांसी के फंदे से लटकाया जाए जब तक कि उसके प्राण न निकल जाएं। कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ आरोपी सचिन के पिता सज्जन सिंगरहा ने हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट मे अपील की।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद 12 मार्च 2019 को सचिन सिंगरहा पिता सज्जन सिंगरहा 33 वर्ष निवासी ग्राम इटमा थाना मैहर की फांसी की सजा को बदलकर उम्रकैद कर दिया। इस फैसले पर सचिन के पिता का कहना है कि उसके पुत्र को साजिश के तहत बच्ची के रेप और हत्या के मामले में फसाया गया था। उसको फांसी की सजा नहीं होना चाहिए थी इसलिए वह कोर्ट में अपील करते रहे।

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