मप्र में 32 लाख शिक्षित युवा बैरोजगार
– हर घर में बैठे बेरोजगार कैसे पनपेंगे परिवार
– प्रत्येक जिले में है एक लाख से अधिक युवा बेराजगार
मध्यप्रदेश। प्रदेश की सत्ता में कोई भी रहे राज किसी का रहे पर यदि बेरोजगारी की समस्या पर आंकडों में जमीनी धरातल पर अब काम करने की आवश्यकता है। प्रदेश में पढे लिखे बेरोजगारों की संख्या 32 लाख के पार हो गई है। अब ऐसे में प्रदेश के प्रत्येक घर में पढे लिखे बेरोजगार युवा बैठे है। ऐसे में जिन परिवारों युवा बेरोजगार बैठे है, वह परिवार कैसे पनपेंगे यह सवाल अब युवाओं के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के रोजगार कार्यालयों के आंकडों की जुबानी है कि प्रदेश में 32 लाख 57 हजार 136 पढे लिखे युवा पंजीकत है। इनमें से मप्र के मूल निवासी 29 लाख 81 हजार हैं। प्रदेश में बेराजगारों का यह आंकडा प्रदेश के लिए चुनौती का कारण बन रहा हैय यह तो शिक्षित बेरोजगारी का आलम है। इसके अलावा मनरेगा में पंजीक2त मजदूरए दिहाडी मजदूर और कोरोना काल में जो अन्य प्रदेशों में छोटे छोटे रूजगार करते थे वह भी लौटे है और अपने पैत2क काम में जुट गए है।
प्रत्येक जिले में एक लाख बेरोजगार
प्रदेश में बेराजगारी के आंकडो की बात की जाए तो करीब 32 लाख तो पढे लिखे बेरोजगार है ही इससे इन आंकडो के मुताबिक प्रदेश के प्रत्येक जिले में करीब 60 हजार युवा पढे लिखे बेरोजगार है। इसके साथ ही दिहाडी मजदूर, खेतीहर मजदूर, मनरेगा में पंजीकत मजदूर उनहें भी साल भर अपने गांव में रोजगार नहीं मिल पाता है। इससे अनुमानित है कि प्रत्येक जिले में करीब 30 से 40 हजार मजदूर ऐसे है जो ज्यादा शिक्षित नहीं है इसलिए रोजगार कार्यालयों में वह पंजीकत भी नहीं है, पढे लिखे, कम शिक्षित एव बिना पढे लिखे मजदूरों को जोडा जाए तो प्रत्येक जिले में करीब एक लाख युवा है जिन्हें काम की तलाश है।
पढे लिखों के लिए रोजगार मेले
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा पढे लिखे युवाओं को रोजगार देने के लिए जिला एवं तहसील स्तर पर रोजगार मेलों का आयोजन किया जाता रहा है। इन रोजगार मेलो में स्थनीय एवं कई अन्य कंपनियों द्वारा हिस्सा लिया जाता है पर युवाओं का कहना है कि इन रोजगार मेलों में उनकी योग्यता के अनुसार काम नहीं मिल पाता है। बिना पढे लिखे युवा बेराजगारो को काम तलाशने और अपना खुद का रोजगार खडा करने में काफी परेशानी का सामना करना पडता है। प्रदेश में बेरोजगार युवाओं की बढती फौज को रोजगार के अवसर मुहैया नहीं होने के कारण से पारिवारिक आय में कमी आ रही है। परिवारों की घटती आय का सीधा प्रभाव बाजार और शिक्षा पर देखा जा रहा है।